सूर्यकांत शर्मा, महानिरीक्षक, बीएसएफ उत्तर बंगाल फ्रंटियर, कदमतला के गतिशील नेतृत्व में सीमा सुरक्षा बल के बहादुर सीमा प्रहरी न केवल भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि सीमावर्ती आबादी में सुरक्षा की भावना पैदा कर रहे हैं और मानवीय सहायता भी प्रदान कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र पर 98 बटालियन बीएसएफ के बीओपी चांगराबांधा के सीमा प्रहिरयों ने 35 वर्षीय एक महिला पिंकी (उपनाम) को भारतीय गांव पूरबपारा से बीएसएफ ओपी प्वाइंट की ओर बढते हुए देखा। जो ओपी पॉइंट से लगभग 200 गज की दूरी पर स्थित है। वह रो रही थी और बडबडा रही थी कि वह नदी में कूदकर आत्महत्या करना चाहती है। बीएसएफ पार्टी ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन वह नहीं रुकी और धारला नदी में कूद गई। बीएसएफ दल ने उसे नदी से बाहर निकाला। उसने खुलासा किया कि वह मूल रूप से अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली है और उसकी शादी साल 2014 में किशन नाम के व्यक्ति से हुई थी और अब घरेलू हिंसा सहना उसकी क्षमता से बाहर हो गया है, इसलिए वह आत्महत्या करना चाहती है। उसे बचाकर और सांत्वना देकर उसके घर भेज दिया गया। किसी तरह ग्रामीण और उसका पति उसे वापस घर ले जाने में कामयाब रहे।
वहीं महिला (पिंकी) रोती और भागती हुई ओपी प्वाइंट की तरफ आई और बीएसएफ संतरी से उसे उसके पति से बचाने की गुहार लगाई। बीएसएफ संतरी ने उसका खून बहता देखा और उसके सिर पर चोट देखी। कम्पनी कमांडर तुरंत मौके पर पहुंचे और पीडित की जान बचाने के लिए एसडीपीओ मेखलीगंज एवं एसएचओ पीएस मेखलीगंज को एक पुलिस पार्टी भेजने के लिए सूचित किया। पीएस मेखलीगंज की पुलिस पार्टी मौके पर पहुंची और उसके पति किशन को गिरफ्तार कर लिया। बीओपी हिमालय पर तैनात बीएसएफ एएचटीयू टीम को भी घरेलू हिंसा के इस मामले को स्थानीय पुलिस के माध्यम से तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए सूचित किया गया है ।
सीमा सुरक्षा बल हमेशा सीमा पर रहने वाले जरूरतमंद लोगों की उनकी आपातकालीन आवश्यकताओं के समय सहायता और निकासी प्रदान करके मदद करता है। ’सीमा के प्रहरी’ न केवल भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं, बल्कि सीमावर्ती लोगों के लिए मानवीय भूमिका भी निभा रहे हैं।