कृषि उद्योग हितधारकों की क्षेत्रीय परामर्श बैठक का आयोजन

देहरादून। एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड और निजी संगठनों के माध्यम से अंतिम उपयोगकर्ताओं यानि कृषकों तक पहुंचने के लिए भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो दिवसीय कृषि उद्योग हितधारकों की क्षेत्रीय परामर्श बैठक  के दौरान भाकृअनुप-विपकृअनुसं, अल्मोड़ा में आयोजित की गयी। बैठक का उद्घाटन  हुआ।

इस अवसर के मुख्य अतिथि प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, कुलपति, एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा थे। अपने उदबोधन में डॉ. सिंह ने विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास में भाकृअनुप-वि.प.कृ.अनु.सं., अल्मोड़ा द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की, जिनका निजी संस्थाओं और एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड के माध्यम से व्यावसायीकरण किया जा रहा है।

उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से छात्रों, किसानों, हितधारकों के साथ वार्ता से पर्वतीय क्षेत्रों के स्थानीय मुद्दों का समाधान करने का आग्रह किया। उन्होंने कृषि के साथ पशुपालन को भी शामिल करने पर जोर दिया। उनके शब्दों में, क्षेत्रीय बैठक एक ऐतिहासिक आयोजन है, जो ज्ञान, चर्चा और परिणामों के रूप में परामर्श को बढ़ावा देगा। विशिष्ट अतिथि एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. प्रवीण मलिक ने इस क्षेत्रीय बैठक के आयोजन के प्रयासों के लिए भाकृअनुप-वि.प.कृ.अनु.सं., अल्मोड़ा टीम को बधाई दी।

उन्होंने भागीदारों और संस्थानों से अपनी प्रौद्योगिकियों को एक साथ ले जाने और उन्हें कृषकों के खेतों में स्थानांतरित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कृषकों तक नई तकनीकी नहीं पहुंचने से प्रयोगशाला से खेत तक कार्यक्रम बाधित हो रहा है। यह सभी हितधारकों का कर्तव्य है कि वे उन्हें दिखाएं कि ये प्रौद्योगिकियां समय की बचत के साथ उनकी आय बढ़ाने में भी कारगर हैं। फलस्वरूप बचे हुए समय का उपयोग कृषक अन्य आय सृजन गतिविधियों में कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बैठक में संस्थानों, हितधारकों, राज्य के अधिकारियों, कृषकों और उद्योगपतियों का सहयोग हो सकता है। संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, भाकृअनुप संस्थानों के सभी प्रतिनिधियों, उत्तर-पूर्वी हिमालयी क्षेत्र के 18 विषय वस्तु विशेषज्ञ, हितधारकों, कृषकों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों और उपस्थित लोगों का स्वागत किया और उन्हें संस्थान की अनुसंधान गतिविधियों एवं विकसित प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया।
डॉ. एन.के. हेडाऊ, प्रभागाध्यक्ष, फसल सुधार एवं अध्यक्ष, आईटीएमयू ने सभी आगंतुकों को बैठक के उद्देश्य और बैठक के दौरान चर्चा किए जाने वाले बिंदुओं के बारे में जानकारी दी। डॉ. के.के. मिश्रा, प्रभागाध्यक्ष, फसल सुरक्षा और उप परियोजना अन्वेषक, आईटीएमयू ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव दिया और डॉ. आशीष कुमार सिंह, वैज्ञानिक ने कार्यक्रम का संचालन किया। बैठक में विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों, राज्य कृषि विश्‍वविद्यालयों, संबंधित विभागों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं उद्यमियों सहित 90 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। दो दिवसीय बैठक में प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण में एग्रीनोवेट की भूमिका और महत्व, उनके द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के बारे में भाकृअनुप/ राज्य के कृषि विश्‍वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुति, वैज्ञानिकों, सम्बंधित विभागों के अधिकारियों, प्रगतिशील किसानों और उद्योगपतियों सहित हितधारकों के साथ चर्चा और हितधारकों से प्रतिक्रिया जैसे सत्र शामिल थे।

एक-दूसरे के संस्थान/ परिसर में अनुसंधान में सहयोग करने और शैक्षणिक और विकासात्मक कार्यक्रम विकसित करने के लिए निदेशक, भाकृअनुप-वि.प.कृ.अनु.सं., अल्मोड़ा और कुलपति, एसएसजे विश्‍वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली के सीईओ डॉ. प्रवीण मलिक ने एग्रीनोवेट, इसकी भूमिका और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के महत्व पर अपना व्याख्यान दिया।

उन्होंने उद्योग और संस्थानों के बीच व्यावसायीकरण के विभिन्न पहलुओं और प्रक्रिया को सरल बनाने में एग्रीनोवेट की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। भाकृअनुप -विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा; भाकृअनुप – केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर; भाकृअनुप – ऑर्किड पर राष्ट्रीय अनुसन्धान संस्थान, सिक्किम; और रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान, हल्द्वानी ने अपने-अपने संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया।
डॉ. नरेंद्र सिंह, उपनिदेशक, उद्यान विभाग, उत्तराखंड ने उत्तराखंड की प्रौद्योगिकियों और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया । उन्होंने सूक्ष्म उद्यमिता के लिए सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने आलू की किस्म कुफरी ज्योति और फ्रेंच बीन के गुणवत्तापूर्ण बीज की अनुपलब्धता के संबंध में कृषकों को आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी दी।

ऑर्किड पर राष्ट्रीय अनुसन्धान संस्थान सिक्किम से डॉ. दीपांकर साहा ने भारत में ऑर्किड की क्षमता के दोहन के लिए रणनीतियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। भाकृअनुप – केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, अनुसंधान केन्द्र मुक्तेश्वर के प्रतिनिधि डॉ. अरुण किशोर (वरिष्ठ वैज्ञानिक) ने स्थानांतरण के लिए संभावित केंद्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान की प्रौद्योगिकियों पर प्रस्तुतीकरण दिया।

उन्होंने वूली एफिड की समस्या और जैविक, रासायनिक नियंत्रण और स्टिकी बैंड के माध्यम से संभावित समाधान पर भी चर्चा की। रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान, हल्द्वानी के डॉ. अंकुर अग्रवाल ने उत्तराखंड हिमालय में कृषि विविधीकरण पर कृषकों की धारणा का आांकलन करने पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बेरीनाग चाय की सफलता की कहानी भी बताई। इस अवसर पर पाराशर एग्रोटेक बायोटेक प्रा. लिमिटेड; एयरोटेक प्रा. लिमिटेड; पहाड़ी फसलें; जैसे विभिन्न उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा अपने विचार प्रस्तुत किये। प्रगतिशील किसान और लघु उद्यमी श्री शिव सिंह ने टोफू तैयार करने की तकनीक के बारे में चर्चा की। अंत में, भाकृअनुप -विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत की टिप्पणियों के साथ सत्र का समापन हुआ।

बैठक के दौरान, पाराशर एग्रोटेक, वाराणसी के साथ तीन तकनीकों, वीएल सोलर ड्रायर, वीएल स्मॉल टूल किट और वीएल मिलेट थ्रेशर कम पर्लर का व्यावसायीकरण किया गया। समापन सत्र में दो दिवसीय परामर्श बैठक में उभरे मुख्य बिंदु तथा इन पर अमल करने के लिए भविष्य की रणनीति पर विचार कर कार्यक्रम की रूपरेखा निर्धारित की गयी
आने वाले समय में यह बैठक भाकृअनुप / राज्य के कृषि विश्‍वविद्यालयों, सम्बंधित विभागों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं उद्यमियों के बीच सहयोग उत्पन्न करने में सहायक होगी, जो कृषि प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देगी।

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