नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें हत्या के एक मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बरी किये जाने के खिलाफ 2004 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया गया था।
मामला वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में प्रभात गुप्ता की हत्या से संबंधित है। न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ और निचली अदालत के निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है।
पीठ ने आठ जनवरी को सुनाए गए अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को विस्तार से सुनने और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री पर गौर करने के बाद हम दोनों अदालतों के निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। इसलिए विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’’
निचली अदालत ने 2004 में मिश्रा को मामले में बरी कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता राजीव गुप्ता द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मई 2023 के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि निचली अदालत के फैसले में कोई त्रुटि नहीं थी।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री ने अपील को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ से प्रयागराज की मुख्य पीठ में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था। गुप्ता (24) की हत्या के सिलसिले में लखीमपुर में दर्ज प्राथमिकी में मिश्रा और अन्य का नाम शामिल था।
गुप्ता की जिले के तिकुनिया इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लखीमपुर खीरी के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 2004 में पर्याप्त सबूत के अभाव में मिश्रा और अन्य को मामले में बरी कर दिया था। बरी किए जाने के फैसले से असंतुष्ट राज्य सरकार ने अपील दायर की थी, जबकि मृतक के परिवार ने फैसले को चुनौती देते हुए एक अलग पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।