करन माहरा ने कहा, देश की रक्षा में उत्तराखंड के वीर सैनिकों ने सदैव वीरता का परिचय दिया

देहरादून । बांग्लादेश मुक्ति युद्व- 1971 की 52वीं वर्षगांठ पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय देहरादून में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए याद किया।

इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने बयान जारी करते हुए कहा कि बांग्लादेश युद्ध में भारतीय जांबाजों ने अद्म्य साहस का परिचय दिया वह भारत के गौरवशाली दिवस के रूप में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश द्वारा थोपे गये इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपनी बहादुरी से न केवल दुश्मनों के दांत खट्टे कर विजय हांसिल की अपितु विश्व को यह संदेश देने का काम किया कि भारतीय सैनिक किसी भी परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब भारत के दुश्मनों ने देश की सीमाओं पर आक्रमण किया तब-तब भारतीय सेना ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया तथा देश की सुरक्षा पर आंच नहीं आने दी।

माहरा ने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा में उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों ने सदैव वीरता का परिचय दिया है तथा इस युद्व में भी देवभूमि उत्तराखण्ड के वीर सपूतों ने अपने प्राणों की परवाह किये बिना इस युद्वा के दौरान अपना अतुल्नीय योगदान देने का काम किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जिस पर देश की रक्षा के लिए शहीद होने वाले सैनिकों की शहादत का असर न पड़ा हो और हम सब उस पर गौरवान्वित भी है।

माहरा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की गतिशील एवं निर्णायक नेेतृत्व में आज के ही दिन भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नयाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ आत्म सर्म्पण किया और पाकिस्तान ने अपने अहंकार में एक गलती की जिसकी किमत उसे पूर्वी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लोदश को गंवाकर चुकानी पड़ी।
श्रद्धांजिलि अर्पित करने वालों में उपाध्यक्ष प्रशासन/संगठन मथुरा दत्त जोशी, महामंत्री नवीन जोशी, मुख्य प्रवक्त गरिमा माहरा दसौनी, प्रदेश अध्यक्ष के सलाहकार अमरजीत सिंह, प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष ज्योति रौतेला, महानगर कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष डॉ. जसविन्दर सिंह गोगी, प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट, राजेश चमोली, महानगर महिला अध्यक्ष उर्मिला थापा, चन्द्रकला नेगी, अनुराधा तिवाड़ी, नवीन रमोला आदि उपस्थि थे।

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