दो वर्ष की सजा के बाद निर्वाचित सदनों की सदस्यता समाप्त हो जाने के कानून के लालू प्रसाद यादव शायद पहले शिकार हैं। कम लोगों को ध्यान होगा कि इसमें छूट देने संबंधी प्रस्ताव की प्रति को राहुल गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उपस्थिति में फाड़ डाला था। इन्हीं राहुल गांधी को लालू प्रसाद विपक्ष के ‘दूल्हे’ के तौर पर देखते हैं। आखिर क्यों है ऐसा कि लंबे समय से सत्ता से बाहर रहकर और जेल से भी हो आए लालू चर्चा में रहते हैं।
- आज भी बिहार ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी दखल रखते हैं लालू
- विपक्षी गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. की बैठकों में अपने बयानों से रहते हैं सुर्खियों में
डा. प्रभात ओझा, नई दिल्ली।
“इहां पहुंचे तो देखा कि हमार सभा के जगह पर बोरा-चट्टी वाले कब्जा किए बैठे हैं। तो हम बोले कि अरे भाई हम तो भइंसिया की पीठ पर बइठ के भी भाषण दे लेंगे। कहीं मीटिंग-सीटिंग कर लो।” इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में पब्लिक मीटिंग में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के भाषण की इन शुरुआती लाइनों पर लोग हंसते हुए झूम उठे थे। तब शहर के मध्य सिविल लाइंस के पास पीडी टंडन पार्क में ही प्रायः सभाएं हुआ करती थीं। लालू प्रसाद जिन बोरा टाट वालों का जिक्र कर रहे थे, दरअसल वे लोग उस समय प्रसिद्धि पर रहे जय गुरुदेव के अनुयायी थे। उनके शिष्यों का उस पार्क में कई दिनों से कैंप चल रहा था। उनके अनुयायी आज भी इसी तरह के वस्त्र पहना करते हैं। बहरहाल, लालू प्रसाद ने इस तरह की बात कह कर यह जताने की कोशिश की थी कि उनकी सभा पीडी टंडन पार्क से छोटी जगह पर कैसे हो सकती है। भइंसी (भैंस) पर भी बैठकर सभा को संबोधित कर सकने की क्षमता जताने वाले लालू ने श्रोताओं को बिन बताए यह भी याद दिला दी थी कि वे दुधारू मवेशी पालक समुदाय से आते हैं।
बिहार से निकल कर कभी देशभर की राजनीति पर छाए लालू प्रसाद यादव की अपनी शैली उनके मतदाताओं को ही नहीं, विरोधियों को भी बहुत लुभाया करती थी। आज कानूनी दांव पेच और खराब स्वास्थ्य के चलते वे बहुत सक्रिय नहीं हो पाते। आम सभाओं के तो जैसे सिललिले ही बंद पड़ गए। इसके बावजूद, वे आज भी बिहार ही नहीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी दखल रखते हैं। तभी तो विपक्षी गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. की बंगलुरु बैठक में जब उन्होंने राहुल गांधी की शादी को लेकर चुहल की तो उसके भी निहितार्थ निकाले जाने लगे। लालू प्रसाद ने राहुल गांधी को उलाहना दी थी कि शादी क्यों नहीं करते। आपकी मां (सोनिया गांधी) कहती हैं कि राहुल को शादी के लिए मनाइए। इस पर हंसते हुए राहुल का जवाब था कि जब आप कह रहे हैं तो कर लूंगा। लालू यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने वह बात कह डाली, जिसकी चर्चा हुई। लालू बोले, “हां, अब कर लीजिए, हम सब बाराती बनेंगे।”
आई.एन.डी.आई.ए. की चुनावी सफलता अभी भविष्य के गर्त में है। लालू को उसका दूल्हा और बाकी के बाराती बनने की अभी से कौन कहे। फिर भी एक बात तो हुई है। जिन नीतीश कुमार के साथ लालू के पुत्र तेजस्वी यादव बिहार में डीप्टी सीएम हैं, विपक्षी गठबंधन का अगुआ बनने की उनकी मन की मुराद फिलहाल तो पूरी नहीं हो सकी है। अभी बहुत दिनों की बात नहीं है, जब नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के लिए कई प्रदेशों का दौरा कर वहां के नेताओं से चर्चा की थी। वे भले कहते रहें कि उनकी प्राथमिकता गठबंधन है, उसके नेता बनने की नहीं, फिर भी एक राजनेता संन्यास के भाव से काम तो करता नहीं। बिहार का वर्तमान राजनीतिक गठबंधन भी इसी आशा के साथ हुआ कि नीतीश राष्ट्रीय राजनीति और तेजस्वी बिहार में रहेंगे। पता नहीं कि लालू प्रसाद के दिमाग में क्या है, पर वे करतब करते रहे हैं।
वर्ष 1996 के चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी बहुमत से पीछे रह गयी थी। कांग्रेस ने घोषित किया कि वह किसी तीसरे मोर्चे को समर्थन दे सकती है। वीपी सिंह फिर से प्रधानमंत्री बनने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु का नाम सुझाया था। लालू प्रसाद यादव ने भी विपक्ष के साथी दलों को तैयार करने में बड़ी भूमिका अदा की। ऐन मौके पर ज्योति बसु की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने ही सरकार का नेतृत्व करने से इनकार कर दिया और ज्योति बसु प्रधानमंत्री बनने से रह गए।
प्रधानमंत्री बनाने में बड़ा रोल न सही, प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर रखने में लालू प्रसाद यादव ने एक बार स्पष्ट भूमिका निभाई थी। इसकी टीस समाजवादी पार्टी के नेताओं के मन में आज भी रहती है। अभी हाल में उत्तर प्रदेश के सैफई में मुलायम सिंह के जन्म दिन पर उस घटना को याद किया गया था। ज्योति बसु के बाद मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया था। कहते हैं कि खुद मार्क्सवादी पार्टी नेताओं के साथ लालू प्रसाद यादव ने मुलायम सिंह का रास्ता रोक दिया था। तब इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने।
जेल के बावजूद राजनीति जारी
लालू प्रसाद यादव ऐसे राजनेता हैं, जो सात बार जेल जाने के बावजूद राजनीति में सक्रिय दिख रहे हैं। ये सातों जेल यात्रा संयुक्त बिहार के दौरान प्रसिद्ध चारा घोटाला से सम्बंधित हैं। अब झारखंड बन जाने के बाद पांच मुकदमे नए राज्य और एक बिहार में चला अथवा चल रहा है। चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में 3 अक्टूबर 2013 को उन्हें पहली सजा मिली। वे तीन साल से अधिक वक्त जेल में रह चुके हैं। इस अवधि के सिर्फ आठ महीने रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल और बाकी समय न्यायिक हिरासत में इलाज के लिए रांची, दिल्ली और मुंबई के अस्पतालों में गुजरा। देश के बाहर जाकर उन्होंने अपनी किडनी बदलवायी। किडनी उनकी एक बेटी ने दिया।
लालू की सात बेटियां और दो बेटे हैं। बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी और कैबिनेट मिनिस्टर तेज प्रताप यादव के अतिरिक्त बेटी मीसा भारती राज्यसभा की सदस्य हैं। है। दोनों बेटों के साथ चार बेटियों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। मीसा भारती के अतिरिक्त हेमा यादव, रागिनी और चंदा यादव के घर सीबीआई दस्तक देती ही रहती है। जांच का ताजा मसला नौकरी के बदले जमीन लेने का है। सीबीआई की टीम ने लालू यादव, राबड़ी देवी, हेमा यादव, मीसा भारती और चंदा देवी से भी पूछताछ की है। चंदा और रागिनी का नाम डिलाइट मार्केटिंग के शेयर धारकों में और बाद में निदेशक के रूप में भी आया था। कंपनी की पहचान लारा यानी लालू राबड़ी प्रोजेक्ट के रूप में हुई। फिर चंदा और रागिनी को निदेशक पद से मुक्त कर दिया गया था। अब डिप्टी सीएम तेजस्वी पर भी कुछ मुकदमे सामने आए हैं। माता-पिता दोनों पूर्व मुख्यमंत्री और दूसरी पीढ़ी के तीन सदस्यों की सक्रियता के साथ तमाम विवादों के बावजूद बिहार के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार का भविष्य उसके ऊपर चल रहे मुकदमों पर ही निर्भर है। हां, जब भी मौका मिलेगा, लालू प्रसाद यादव अपने कर्तब दिखाते ही रहेंगे।
लालू के ‘बोल अनमोल’
1.‘ जब तक समोसे में आलू रहेगा, तब तक बिहार में लालू रहेगा।’ (2010 में बिहार राज्य विधानसभा चुनाव से पहले।)
2. ‘मैं बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह चिकनी बना दूंगा।’ (बाद में वे इस बयान से मुकर गए। (कहा गया था कि अभिनेत्री हेमा ने उन्हें राज्य की खराब सड़कों के बारे में फोन पर शिकायत की थी।)
3. ‘अगर हेमा मालिनी मेरी फैन हैं तो मैं उनका एयर कंडीशनर हूं।’ (एक पत्रकार की सूचाना पर कि हेमा मालिनी उनकी ‘फैन’ हैं।)
4. ‘रेलवे भगवान विश्वकर्मा की देन है। यात्रियों की सुरक्षा भी उनका कर्तव्य है, मेरा नहीं। मुझे उनका चोला पहनने के लिए मजबूर किया गया है।’ (बढ़ती रेल दुर्घटनाओं पर टिप्पणी)
5. ‘मैं बहुत काम करता हूं। सारी सुख-सुविधाएं न मिलें तो मैं पागल हो जाऊंगा।’ (अपने विरोधियों की आलोचना पर कि वह हमेशा सैलून में यात्रा करते हैं।)
6. ‘अगर आप गाय का पूरा दूध नहीं निकालेंगे तो वह बीमार पड़ जाएगी।’ (रेल मंत्रालय में ‘कायापलट’ के लिए उनका आर्थिक सिद्धांत।)
7. ‘पूरी दुनिया में लोग जानना चाहते हैं कि एक चरवाहे का बेटा इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंच गया। उनकी मुझमें रुचि भारतीय लोकतंत्र की जीत है।’ (इस बात पर चुटकी लेते हुए कि दुनिया उनके बारे में क्यों उत्सुक है।)
8. ‘मेरी मां हमेशा कहती थी कि भैंस को उसकी पूंछ से मत पकड़ो, बल्कि हमेशा उसकी सींग से पकड़ो। मैंने उस सीख का उपयोग रेलवे सहित हर चीज में किया है।’ (यूपीए सरकार में रेल मंत्री की हैसियत से)
9. ‘अगले कुछ दिनों में नरेंद्र मोदी पागल हो जाएंगे। वह हमारे देश का प्रधानमंत्री बनने की चाहत में पागल हैं।‘ (2014 से पहले छत्तीसगढ़ में एक रैली के दौरान कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर नरेंद्र मोदी के हमले के बाद।)
10. ‘हालांकि मेरे प्रतिद्वंद्वी मुझे ‘जोक’ कहते हैं, लेकिन दुनिया जानना चाहती है कि यह व्यक्ति कौन है जो एक साधारण पृष्ठभूमि से इस ऊंचाई तक कैसे पहुंचा। मुझे पता चला है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय का समाजशास्त्र विभाग मुझ पर शोध कर रहा है।’ (बॉलीवुड फिल्म ‘पद्मश्री लालू प्रसाद यादव’ के म्यूजिक कैसेट रिलीज के बाद, जिसमें उन्होंने कैमियो किया था)