नैनीताल। हाई कोर्ट (High Court) ने कालाढूंगी से बाजपुर के बीच पेड़ों के अवैध कटान के मामले का स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए क्षेत्र के डीएफओ को मूल रजिस्टर के साथ दो नवंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
हाई कोर्ट ने पूछा है कि यह पेड़ किस नियमावली के तहत काटे जा रहे हैं, चेकिंग पोस्ट पर कितने वाहनों का चालान किया गया है। मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेती जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चेकिंग पोस्ट में नियुक्त कर्मचारी वाहनों को चेक किए बिना जाने दे रहे हैं।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ग्रामीण प्रत्येक दिन साइकिल पर लगभग दो-दो कुंतल तक लकड़ी लादकर धक्का मारकर ले जा रहे । खाना बनाने के लिए प्रत्येक दिन कितनी लकड़ी की जरूरत होती है। हमने देखा है कि उस क्षेत्र में हर घर के सामने कई कुंतल लकड़ियां जमा कर रखी है। क्या यह वनों का विदोहन नही है। अधिकारी इस पर कोई कदम नहीं उठा रहे है। शायद सभी के घरों में रसोई गैस भी होगी।
कोर्ट के न्यायमूर्ति ने दिल्ली ( Delhi)जाते वक्त उस क्षेत्र में हो रहे पेड़ो के अवैध कटान( Illegal cutting) का स्वतः संज्ञान लिया। मामले की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए संबंधित क्षेत्र के डीएफओ व अन्य अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया।
रिकॉर्ड नहीं दिखा पाने पर कोर्ट नाराज
कोर्ट ने डीएफओ (DFO) से कई बार पूछा कि अभी तक विभाग ने कितने चालान किये है, उसका ओरिजनल रिकॉर्ड दिखाएं, लेकिन वह नहीं दिखा पाए। जिस पर कोर्ट नाराजगी व्यक्त करते हुए दो नवंबर को ओरिजनल रिकार्ड के साथ कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।