कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ( CPI(M)) ने कटघोरा विधानसभा क्षेत्र से जवाहर सिंह कंवर (Jawahar Singh Kanwar) को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। एक उत्साह भरे वातावरण में पार्टी के जिला कार्यालय बांकी मोंगरा में पार्टी समर्थकों की एक बैठक में पार्टी के जिला सचिव प्रशांत झा ने उनके नाम की घोषणा की।
बैठक में पार्टी और सीटू(CITU) के नेता वीएम मनोहर और एसएन बेनर्जी, नंदलाल कंवर, दीपक साहू, देवकुंवर कंवर तथा माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर भी उपस्थित थे। बैठक में कुसमुंडा, गेवरा तथा दीपका खदान से प्रभावित भू विस्थापितों के साथ निगम क्षेत्र के कार्यकर्ता और मजदूर बड़ी संख्या में उपस्थित थे। माकपा राज्य सचिव एम के नंदी ने पहले ही जवाहर के नाम का अनुमोदन कर दिया था।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि कांग्रेस-भाजपा के संपन्न करोड़पतियों के मुकाबले माकपा ने एक गरीब भूविस्थापित और संघर्षों के अगुआ आदिवासी नेता को मैदान में उतारा है। जवाहर सिंह कंवर माकपा जिला सचिवमंडल के सदस्य हैं और पिछले तीन वर्षों से छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला अध्यक्ष हैं। माकपा और किसान सभा व सीटू द्वारा बिजली-सड़क-पानी जैसी बुनियादी मानवीय सुविधाओं, भूविस्थापितों के पुनर्वास और रोजगार से जुड़े मुद्दों और खेती-किसानी की समस्याओं पर इस दौरान जितने आंदोलन किए गए हैं, उनमें उन्होंने अगुआ नेता की भूमिका निभाई है। भूविस्थापितों के आंदोलन में उन्हें पुलिस की मार और जेल की हवा भी खानी पड़ी है। इस सबके कारण उनकी एक संघर्षशील नेता के रूप में छवि बनी है।
उल्लेखनीय है कि जवाहर कंवर की पत्नी राजकुमारी कंवर कोरबा नगर निगम में माकपा पार्षद हैं। जवाहर का परिवार पहले दर्री बांध निर्माण के समय और बाद में एसईसीएल द्वारा भूमि अधिग्रहण के चलते दो बार विस्थापित हो चुका है और पुनर्वास तथा रोजगार के साथ बसावट भूमि के पट्टे, पूर्व में अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस करने और बुनियादी मानवीय सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
माकपा नेता झा ने कहा है कि माकपा गरीबों के पसीने और संघर्ष का सम्मान करती है। एक सामान्य सीट से माकपा द्वारा आदिवासी समाज से जवाहर कंवर को प्रत्याशी बनाए जाने से आदिवासी समाज, भूविस्थापितों और ग्रामीण गरीबों के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस-भाजपा की कॉरपोरेटपरस्त नीतियों के विकल्प के रूप में माकपा पूरी दमदारी से चुनाव लडेगी और कोरबा नगर निगम की तरह पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी वामपंथ का प्रवेश तय है।