धर्मपाल धनखड़
करीब चार महीने पहले उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath temple) से करीब डेढ़ अरब रूपए मूल्य का सोना चोरी होने की खबर सुर्खियों में आयी थी। तीर्थ पुरोहित और चार धाम महापंचायत (Char Dham Mahapanchayat) के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने केदारनाथ मंदिर को दान में मिला 23 किलो 780 ग्राम सोना चोरी होने का आरोप लगाया था। आरोप लगते ही राज्य सरकार एक्शन में आ गयी। चूंकि चार धाम यात्रा पीक पर थी। यात्रा के समय कोई बड़ा बवाल ना हो, इसलिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने फटाफट राज्य के संस्कृति और धार्मिक मामलों के सचिव हरिचंद्र सेमवाल और गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में एक हाई लेवल जांच समिति का गठन कर दिया। प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्य और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक इस जांच समिति में विशेषज्ञों के अलावा स्वर्णकार भी हैं।
चार धाम यात्रा शांति से संपन्न हो गयी। लेकिन केदारनाथ के गर्भ गृह की दीवारों पर मढ़ा सोना असली है या नकली। इसकी सच्चाई अब तक सामने नहीं आयी है। जांच समिति का गठन किये चार महीने हो गये। लेकिन जांच अभी तक कायदे से शुरू ही नहीं हुई है। यहां तक कि जांच समिति (Inquiry Committee) ने अब तक दानदाता परिवार से भी संपर्क नहीं किया है। धर्मस्य सचिव हरिचंद्र सेमवाल का कहना है कि जांच चल रही है। अभी इस बारे में कोई प्रगति नहीं है। सेमवाल का कहना है कि उनके पास कई विभाग हैं। काम का ज्यादा दबाव है। इसलिए जांच की गति धीमी है। अब सवाल ये उठता है कि जिस अधिकारी पर पहले ही काम का ज्यादा बोझ है, उसे ही जांच क्यों सौंपी गयी है? इससे सरकार की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं और खुद मुख्यमंत्री भी सवालों के घेरे में हैं। मसला संवेदनशील और गंभीर है। इसका सीधा संबंध लोगों की आस्था से जुड़ा है। राज्य में हिंदुत्व की प्रबल समर्थक पार्टी की सरकार है। लेकिन मंदिर समिति पर लगे सोना चोरी के आरोपों की जांच ठंडे बस्ते में है।
मंदिर का प्रबंधन श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति देखती है। इस समय समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय हैं। अजय ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट की मांग की थी। खैर टिकट तो नहीं मिला। लेकिन उन्हें मंदिर समिति का अध्यक्ष नियुक्त करके एडजेस्ट कर दिया गया। अजेंद्र अजय के कार्यकाल में महाराष्ट्र के दानदाता लखी परिवार से दान स्वीकार किया गया, जो 23 किलो 780 ग्राम बताया जा रहा। मंदिर समिति ने दान, बाकायदा नियमों के मुताबिक स्वीकार किया है। प्रदेश के धर्मस्य मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का काम दानदाता परिवार के स्वर्णकारों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया। इसमें मंदिर कमेटी की कोई भूमिका नहीं थीं। और दानदाता परिवार ने सोने की परत चढ़ी प्लेटें लगवाने के बाद मंदिर समिति को सोना खरीदने और इसे गर्भ गृह की दीवारों पर मढ़वाने के काम से संबंधित तमाम पक्के बिल कमेटी को सौंप दिये गये।
सोना नकली होने के आरोप उस समय लगे जब 18 जून को गौतम नोटियाल नाम के ट्विटर हैंडल से मंदिर के स्वर्ण जड़ित गर्भगृह की दीवारों पर पोलिस किये जाने का वीडियो वायरल किया गया। इसके बाद तीर्थ पुरोहितों ने मंदिर समिति पर सोने की हेराफेरी के आरोप लगाये। मंदिर समिति सिरे से इन आरोपों को खारिज कर दिया। खैर सरकार ने जांच समिति बना दी और जांच अब कच्छप गति यानी सरकारी जांच की तरह ही चल रही है। इस बीच मंदिर कमेटी ने अपना दफ्तर भी शिफ्ट कर लिया है। शिफ्टिंग के दौरान मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण कागजात को खुर्द-बुर्द किये जाने की आशंका भी जताई जा रही है।
गौरतलब है कि मार्च, 2021 में प्रदेश के 53 मंदिरों के बेहतर संचालन के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड बनाये जाने से मंदिरों में आने वाले चढ़ावे और दान पर सरकार का नियंत्रण हो गया। सरकार की योजना इस पैसे का इस्तेमाल तीर्थ के रखरखाव, उसके विकास और जनकल्याण के अन्य कामों में करने की थी। इसका पंडा-पुरोहित समाज ने जोरदार विरोध किया। चूंकि इन मंदिरों में आने वाले चढ़ावे का बड़ा हिस्सा पंडा-पुरोहित समाज को मिलता था, जो बोर्ड बनाये जाने के बाद बंद हो गया। मार्च 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने की एक बड़ी वजह तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी भी थी। 2022 में राज्य में विधानसभा चुनाव होने थे। बीजेपी नेतृत्व चुनाव के चलते तीर्थ पुरोहितों के दबाव में आ गया। इसीलिए पुष्कर धामी ने मुख्यमंत्री संभालने के बाद देवस्थानम बोर्ड को भंग करके पुरानी व्यवस्था लागू कर दी।
केदारनाथ मंदिर में लगे सोने के नकली होने के विवाद को देखते हुए एक बार फिर देवस्थानम बोर्ड बनाने की मांग उठने लगी है। केदारनाथ धाम पर करोड़ों लोगों की आस्था है। पूरे देश की जनता आस्था के केंद्र इस प्राचीन मंदिर में हुए स्वर्ण घोटाले की सच्चाई जानना चाहती है। और सबसे बड़ा सवाल ये है कि केदारनाथ मंदिर में अरबों रुपये के सोने के घोटाले का सच कब सामने आयेगा!