देहरादून। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा (Karan Mahara) ने प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि धामी सरकार ( Dhami Government) के इन्वेस्टर्स समिट के गुब्बारे की हवा निकालने का काम किया।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए महारा ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार (Trivendra Government) की तरह धामी सरकार के द्वारा भी दिसंबर में प्रस्तावित इन्वेस्टर समिट को लेकर जो बड़े बड़े दावे कर रही है वह हूबहू त्रिवेंद्र रावत की कॉपी पेस्ट है। महारा ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत ने भी 2018 के इन्वेस्टर समिट को रोजगार के नए अवसर सृजित करने वाला और रिवर्स पलायन को बढ़ावा देने वाला बताया था। वही सब बातें अब धामी जी भी बोल रहे हैं ।
त्रिवेंद्र रावत के इन्वेस्टर समिट के समय पर भी कर्टेन रेजर में 74000 करोड़ प्रस्तावित निवेश की बात कही गई थी और और इन्वेस्टर समिट की समाप्ति तक एक लाख चालीस हजार करोड़ के एमओयू साइन होने की बात कही गई ।
महारा ने कहा की धामी भी इन्वेस्टर समिट से पहले 12500 करोड़ के प्रस्तावित निवेश आने की बात कर रहे हैं। महारा ने कहा कि जो लोग ढाई लाख करोड़ का निवेश प्रदेश में लाने की बात कर रहे थे वह ऊंट के मुंह में जीरा जैसा 12,500 करोड़ के प्रस्ताव पर ही खुश दिखाई पड़ रहे हैं और जगह-जगह इसे अपनी उपलब्धि बताने का काम कर रहे हैं ।
महारा ने कहा इन्वेस्टर समिट के मद्देनजर लंदन में हुए चार दिवसीय दौरे के दौरान बताए जा रहे इन्वेस्टमेंट पर भी सवाल उठाए।
महारा ने कहा की जिस उषा कंपनी के साथ एमओयू साइन किया गया वह गाजियाबाद स्थित कंपनी है उसका इन्वेस्टमेंट लंदन से दिखाए जाने की क्या जरूरत थी जब उषा के साथ एमओयू भारत में ही हो सकता था,उषा तो पहले से ही रोप वे के क्षेत्र में उत्तराखंड में काम कर रही है, तो नया इन्वेस्टर कहा है सरकार बताए?
महारा ने कहा की इन्वेस्टर लाने और लुभाने के लिए राज्य के हालात बेहतर होने चाहिए, जोकि वर्तमान में बदहाल स्थिति में है। महारा ने कहा कि निवेश करने वाला राज्य की कानून व्यवस्था, बिजली ,पानी ,सड़क इत्यादि सभी बातों पर गौर करने के उपरांत ही किसी राज्य में निवेश करता है।
महारा ने कहा कि आज उत्तराखंड में जिस तरह से सत्ता रूढ़ दल के द्वारा सांप्रदायिक दंगे भड़काए जा रहे हैं और धार्मिक उन्माद फेलाया जा रहा है उसके मद्देनजर निवेशक यहां आने से पहले 10 बार सोचेगा ।
और तो और आपदा के उपरांत जिस तरह का सरकार का उदासीन रवैया रहा है वह भी निवेशक के लिए महत्वपूर्ण होगा ।महारा ने प्रदेश की बेरोजगारी दर पर भी सरकार को घेरा, महारा ने आंकड़े बताते हुए कहा कि अक्टूबर 2022 में राज्य की बेरोजगारी दर 4.01% थी जो कि आज लगभग दोगुनी होकर सितंबर 2023 में 7.8 प्रतिशत हो चुकी है।
महारा ने कहा कि उत्तराखंड की इंडस्ट्रीज की वेबसाइट के अनुसार 2014 के बाद प्रदेश में कोई बड़ा उद्योग या निवेश नहीं आ पाया है।
ऐसे में धामी सरकार सिर्फ जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है।
2018 में हुए इन्वेस्टर समिट के आकड़े सरकार को बताने चाहिए, की कितनी कंपनी आई और कितनी अभी तक बंद हो चुकी है?
महारा ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा की दिसंबर 2022 में उत्तराखंड की धामी सरकार ने मैकेंजी नामक अमेरिकी कंपनी के साथ करार किया था, जिसका आज तक कोई दावा धरातल पर उतर नहीं पाया है।
महारा ने कहा कि मैकेंजी ग्रुप के साथ धामी सरकार ने 100 करोड़ का अनुबंध किया था जिस पर प्रतिदिन के हिसाब से ढाई लाख रुपया सरकार खर्च कर रही है और दावा किया गया था की 2 साल के अंदर मैकेंजी ग्रुप प्रदेश की जीडीपी को दोगुना कर देगा और भारी कर्ज में डूबे हुए उत्तराखंड प्रदेश को उबारने का काम करेगा पर आज 9 महीने बीत जाने के बाद भी मैकेंजी ग्रुप का कोई काम दिखाई नहीं पड़ रहा है।महारा ने कहा की मैकेनिज़ी ग्रुप को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं । मैकेंजी ग्रुप कई देशों में ब्लैकलिस्टेड कंपनी है और वहीं दूसरी तरफ इसकी विश्वसनीय पर भी बड़े सवाल उठ रहे हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि सरकार ने इतनी भारी भरकम राशि देकर इस कंपनी के साथ अनुबंध क्यों किया? महारा ने यह भी कहा कि भाजपा राज में अब तक प्रदेश में 3672 लघु उद्योग बंद हो गए हैं यह 2021 में प्रेस वार्ता कर मुख्य सचिव उत्तपल कुमार सिंह ने बताया था ।
महारा ने प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश में आ रहे निवेश की इच्छा पत्रों पर भी भारी गिरावट की ओर ध्यान आकर्षित किया। महारा ने कहा जहां एक ओर 2012 में 13270 करोड़ के इच्छा पत्र प्राप्त हुआ करते थे आज 2022-23 में मात्र 1044 पूंजी निवेश की इच्छा पत्र प्राप्त हो रहे हैं ।
महारा ने कहा की धामी सरकार बताए कि इस गिरावट के लिए कौन जिम्मेदार है? महारा ने कहा की धामी सरकार का इन्वेस्टर समिट निश्चित रूप से त्रिवेंद्र रावत के 2018 के इन्वेस्टर समिट का कॉपी पेस्ट साबित होगा ।
महारा ने कहा कि 2018 का इन्वेस्टर समिट 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया था जोकि सिर्फ एक चुनावी जुमला साबित हुआ,
इस तरह से 2024 में भी लोकसभा के चुनाव हैं इसीलिए सिर्फ खाना पूर्ति के लिए दिसंबर 2023 में उत्तराखंड सरकार के द्वारा इन्वेस्टर समिट करने का आडंबर रचा जा रहा है। महारा ने कहा कि जो आभामंडल इस इन्वेस्टर समिट का दिखाया जा रहा है वह अंदर से खोखला है।