“हाथ” ने इशारे से जता दिया कि “कमल” खिल गया

उपचुनाव परिणाम समीक्षा


संतोष फुलारा। वरिष्ठ पत्रकार

बागेश्वर। बागेश्वर विधानसभा सीट (  Bageshwar Assembly Seat) में उपचुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार पार्वती दास ( Parvati Das) ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार बसंत कुमार को 2 हजार 405 मतों से शिकस्त देकर जीत अपने नाम की। यह चुनाव कई मायनों में यादगार रहेगा। इस चुनाव में भाजपा ( BJP) ने 188 बूथों में से 115 बूथों में बढ़त हासिल की है जबकि 73 सीटों पर कांग्रेस ( Congress) ने लगातार बढ़त बनाये रखी है। कुछ छोटे छोटे बूथों में बढ़त का आंकड़ा 100 के आंकड़े को पार करता नजर आया है। सुबह साढ़े नौ बजे पहला परिणाम कांग्रेस उम्मीदवार बसंत कुमार ( Congress candidate Basant Kumar) के 195 की बढ़त के साथ सार्वजनिक हुआ। इसके बाद जैसे जैसे परिणामों का सिलसिला जारी हुआ तो कांग्रेस की बढ़त थमने के साथ ही भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव खिसकता नजर आया। सातवें परिणाम में कांग्रेस को एक बार फिर कुछ राहत मिली लेकिन आठवे चक्र का परिणाम आने के बाद भाजपा के पक्ष में मतों का प्रतिशत लगातार आगे बढ़ता रहा। जो परिणाम तक आकर ठहर गया और पौंने तीन बजे भाजपा की जीत की घोषणा हो गयी। इस चुनाव में दाबू, भिटारकोट, हरबगड़, फटगली, रवाईखाल पश्चिमी, कमेड़ी, रतबे, अमसरकोट और मटेला ऐसे क्षेत्र रहे जिन्होंने पहली बार भाजपा पर भरोसा कर जीत में अहम भूमिका निभायी। इससे पहले इन क्षेत्रों में भाजपा को निराशा ही हाथ लगती थी। इन क्षेत्रों में अभी तक कांग्रेस की अच्छी खासी बढ़त रहती थी मगर इस चुनाव में मतदाताओं ने पाला बदल लिया। शुरूआती दौर में अनुमान लगाया जा रहा था इस बार कांग्रेस उम्मीदवार को खुद के मतों के अलावा कांग्रेस के कैडर मतों का लाभ मिलेगा लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आया। कांग्रेस उम्मीदवार बसंत कुमार को लेकर मतदाता बंटे हुये नजर आये। गरूड़ क्षेत्र के 19 ऐसे बूथ रहे जहां बसंत कुमार ने पिछले चुनाव तक भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन इस बार उनकी पकड़ ढीली नजर आयी। कई जगह आंकड़े बराबरी को छूते नजर आये हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि बसंत कुमार के समर्थकों का उनका कांग्रेस में जाना रास नहीं आया। दफोट क्षेत्र में स्यालडोबा को छोड़ दे तो अन्य गांवों से भाजपा को अच्छा समर्थन मिला है। खरई पटटी से भी हमेशा की तरह भाजपा अपने कैडर क्षेत्र से ही समर्थन समेटने में सफल रही। उपचुनाव में एक और खास बात देखने में आयी। कांग्रेस और बसंत कुमार का गढ़ माने जाने वाला शहरी क्षेत्र के मतदाताओं ने इस बार फिर उन्हीं पर विश्वास जताया। आठ प्रमुख बूथों में से छह बूथों में भाजपा पीछे रही है। मंडलसेरा क्षेत्र के पूर्वी भाग को छोड़ दिया जाय तो आसपास के बूथों से भाजपा को एक बार फिर निराशा ही हाथ लगी। मंडलसेरा पश्चिमी क्षेत्र में बसंत कुमार को कांग्रेस का पूरा लाभ मिला। बिलौना और बिलौना नवीन में भाजपा की रणनीति काम नहीं आयी यहां के मतदाताओं ने बसंत कुमार का पूरा साथ दिया। उपचुनाव में किसी भी उम्मीदवार को योग्य ना मानते हुये 1257 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना जबकि 181 पोस्टल बैलेट के मत किसी ना किसी कारणों से रद्द कर दिये गये। कुल मिलाकर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार को भारतीय जनता पार्टी के बूथ मैनेजमेंट का ही अधिक लाभ मिला। कुल मिलाकर संवाद सर्वे अपने आंकलन में सफल रहा है।

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