जकार्ता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने वैश्विक विकास को गति देने और 21वीं सदी को एशिया की सदी बनाने के लिए भारत एवं आसियान के बीच सहयोग की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा है कि कोविड पश्चात एक नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था का निर्माण और ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती देने से यह लक्ष्य हासिल हो सकता है।
मोदी ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता (Jakarta) में 20वें भारत आसियान शिखर-सम्मेलन (Summit) में अपने आरंभिक वक्तव्य में यह बात कही। मोदी ने भारत एवं आसियान के बीच साझीदारी का चौथा दशक प्रारंभ होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि हमारा इतिहास और भूगोल भारत और आसियान को जोड़ते हैं। साथ ही साझा मूल्य, क्षेत्रीय एकता, शांति, समृद्धि, और बहुध्रुवीय विश्व में साझा विश्वास भी हमें आपस में जोड़ता है। आसियान भारत की ऐक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy ) का केंद्रीय स्तंभ है।
भारत आसियान केन्द्रीयता और हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर आसियान के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन करता है। भारत के हिन्द प्रशांत क्षेत्र पहल में भी आसियान क्षेत्र का प्रमुख स्थान है। पिछले वर्ष हमने भारत-आसियान मैत्री वर्ष मनाया और आपसी संबंधो को एक समग्र रणनीतिक साझीदारी का रूप दिया। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक अनिश्चितताओं (Global uncertainties) के माहौल में भी हर क्षेत्र में, हमारे आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है। यह हमारे संबंधो की ताकत और सातत्य का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की आसियान शिखर-सम्मेलन की थीम है-आसियान मैटर्ज़: एपीसेंट्रम ऑफ ग्रोथ। आसियान मैटर्स, क्योंकि यहाँ सभी की आवाज सुनी जाती है, और आसियान एपीसेंट्रम ऑफ ग्रोथ क्योंकि वैश्विक विकास में आसियान क्षेत्र की अहम भूमिका है। वसुधैव कुटुंबकम (Vasudhaiva Kutumbakam)–एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की यही भावना भारत की जी-20 अध्यक्षता की भी थीम है।