प्रधानमंत्री मोदी ने चन्द्रयान-3 की सफलता पर इसरो के वैज्ञानिकों को दी बधाई

नयी दिल्ली । चन्द्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 mission) के सफलता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi) ने  भारतीय अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सूर्य के अध्ययन से बड़े अभियानों की योजना बनायी है। श्री मोदी ने भारत (India) की इस उपलब्धि को न केवल भारत बल्कि समग्र विश्व के लोगों की सफलता बताते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र में दुनिया के साथ सहयोग करने को तैयार है। उन्होंने इस उपलब्धि को विफलता को सफलता में बदलने का करिश्मा बताते हुए कहा कि दक्षिण (विकाशसील दुनिया) के देश भी इस तरह की कामयाबी हासिल करने में समर्थ है।

प्रधानमंत्री ने जोहान्सबर्ग (South Africa) से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इसरो के मिशन नियंत्रण कक्ष में सभी वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को संबोधित करे हुए घोषणा की कि भारत जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए आदित्य एल वन मिशन जल्द ही शुरू करेगा ।

श्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने दक्षिण अफ्रीका गए हैं। उन्होंने वहां से अपने संबोधन में कहा, मेरे प्यारे देशवासियों, जब हम अपनी आंखों के सामने इतिहास बनता देखते हैं, तो यह जीवन धन्य हो जाता है। यह पल अविस्मरणीय है। यह शाम अभूतपूर्व है। यह शाम विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नये भारत के उद्घोष का है। यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। यह क्षण जीत का, चंद्रपटल पर चलने का है। यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत में नयी ऊर्जा, नये विश्वास, नयी चेतना का है। यह क्षण भारत के उदयमान आह्वान का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की अमृत वर्षा हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा मन चंद्रयान महाअभियान पर भी लगा हुआ है। नया इतिहास बनते ही हर भारतीय जश्न में डूब गया है। मैं भी उमंग और उल्लास से जुड़ा हुआ हूं। मैं टीम चंद्रयान को, इसरो को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, जिन्होंने इस पल के लिये वर्षों तक इतना परिश्रम किया है। उत्साह, मन आनंद और भावुकता से भरे इस पल के लिये मैं (श्री मोदी) 140 करोड़ देशवासियों को भी कोटि-कोटि बधाइयां देता हूं। मेरे परिवारजनों, हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और प्रतिभा से भारत चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचा है, जहां दुनिया का कोई देश नहीं पहुंच सका।

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