राजीव चंद्रशेखर , केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi ) का हालिया अमेरिका दौरा कई मायने में ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच इस दौरान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी को लेकर महत्वपूर्ण समझौता हुआ। दोनों देश हमारे भविष्य को आकार देने वाली अहम प्रौद्योगिकियों-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग एवं स्पेस को विकसित करने में साझेदारी करने को सहमत हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते नौ साल के दौरान वैश्विक मान्यता के साथ एक प्रौद्योगिकी राष्ट्र के रूप में भारत के उदय का संकेत देने वाला यह दौरा देश में प्रौद्योगिकी विकास के सफर में एक अहम मील का पत्थर साबित हुआ। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी अमेरिका का भारत के साथ प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र साझेदारी यह दर्शाती है कि हमारी प्रौद्योगिकी क्षमताएं कितनी बढ़ गई हैं, खासतौर से सेमीकंडक्टर में, जहां दशकों तक हमारी मौजूदगी बहुत कम या बिल्कुल ही नहीं थी।
अवसर गंवाने, राजनीतिक एवं रणनीतिक दूरदर्शिता की कमी और अक्षमता के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत की दास्तान दशकों तक निराशाजनक रही। मसलन, 1960 के दशक में, भारत ने सेमीकंडक्टर पैकेजिंग इकाई स्थापित करने के लिए फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर्स (जिनके संस्थापकों ने इंटेल बनाया) के एक प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया, जो बाद में मलेशिया चला गया। 2007 में, इंटेल के तत्कालीन चेयरमैन क्रेग बैरेट ने खुलासा किया कि कैसे सरकार की धीमी प्रतिक्रिया के कारण भारत ने फैब निवेश का अवसर गंवा दिया।
देश की आजादी के 65 साल के इतिहास में ऐसे अनेक दृष्टांत मिलते हैं जब भारत ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स के अवसर गंवाए। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने ‘इंडियाफर्स्ट’ की परिकल्पना के साथ अपने मजबूत राजनीतिक इरादे और रणनीतिक स्पष्टता के साथ भारत के भविष्य के बारे में सोचने के तरीके बदल दिए हैं।
उन्होंने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम का पुनर्निर्माण किया है, जिससे यह दुनियाभर में सबसे तेजी से उभरने वाले इकोसिस्टम में शुमार हो गया है। उन्होंने अगले कुछ वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, जब देश की जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यवस्था की 20 फीसदी हिस्सेदारी होगी। संवहनीयता और सुरक्षा से लेकर टीके, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर तक विविध वैश्विक चुनौतियों को लेकर भारत को अब एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में माना जाता है।
महज 19 महीने पहले, दिसंबर 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने 10 अरब डॉलर के भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) को मंजूरी दी थी, जो भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक व्यापक दशकीय रोडमैप है, जिसमें डिजाइन और अनुसंधान से लेकर प्रतिभा, एटीएमपी और फैब्स तक पूरे स्पेक्ट्रम को शामिल किया गया है। देश में डिजिटल और नवाचारी अर्थव्यवस्था के विस्तार में इस पहल का महत्वपूर्ण योगदान है और इससे वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में भारत की पर्याप्त हिस्सेदारी हो गई है। इससे सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप के विकास को प्रोत्साहन मिला है और दुनिया की बड़ी कंपनियों के साथ भारत की वैश्विक साझेदारी को संबल मिला है।
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में 28-30 जुलाई को आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2023 में अपने सेमीकॉन कौशल और चिप डिजाइन नवाचार का प्रदर्शन किया गया। बेंगलुरु में इसके पहले संस्करण के महज 15 महीने बाद यह आयोजन हो रहा है। हमारा सेमीकॉन रिपोर्ट कार्ड निश्चित रूप से उपलब्धियों से भरा है।
सेमीकॉन इंडिया के फ्यूचर स्किल ने उद्योग और सरकार की साझेदारी में 85,000 इंजीनियरों के लिए एक व्यापक वीएलएसआई पाठ्यक्रम विकसित किया है और इसे 300 संस्थानों में इस शैक्षणिक वर्ष में लागू किया जा रहा है।
भारत पहले से ही दावा करता रहा है कि वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन प्रतिभा में उसका 20 फीसदी योगदान है और अब एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसे सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की प्रमुख कंपनियां भारत को कौशल और प्रतिभा विकास के लिए अपना केंद्र बना रही हैं।देश में सेमीकंडक्टर इंडिया फ्यूचर डिजाइन के तहत 30 से अधिक सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप्स स्थापित किए गए हैं। इनमें से 5 स्टार्टअप्स को पहले ही वित्तीय सहायता मिल चुकी है और 25 अन्य का मूल्यांकन किया जा रहा है। वहीं, समर्थित स्टार्टअप्स की संख्या को बढ़ाकर 200 तक करने का लक्ष्य है।
यह जानते हुए कि दुनिया चिप्स के लिए नए आईएसए यानी इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्टचर की तरफ जा रही है और इंडिया स्टैक सहित हमारे इनोवेशन इको-सिस्टम के लिए स्रोत खोलने की प्रधानमंत्री की अपनी प्रतिबद्धता है, हमने डिजिटल इंडिया आरआईएससी-5 (डीआईआर-5) कार्यक्रम लॉन्च किया है, जिसका लक्ष्य अगली पीढ़ी के प्रोसेसर्स विकसित करना है। भारतीय स्टार्टअप और उद्यम न सिर्फ आरआईएससी-5 प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिभा केंद्र बनेंगे, बल्कि विविध अनुप्रयोगों के लिए आरआईएससी-5 एसओसी के वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी बनेंगे।
सेमीकंडक्टर मेमोरी के क्षेत्र में विश्व की अग्रणी कंपनी माइक्रोन ने गुजरात में अपने पहले निवेश की घोषणा की है। उसका 2.75 अरब का निवेश एक बड़ा मील का पत्थर है और इससे सप्लाई चेन, पैकेजिंग और फैब्स विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, इससे करीब 5000 नई प्रत्यक्ष और 15,000 सामुदायिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। सेमीकंडक्टर अनुसंधान हमारी प्राथमिकता का क्षेत्र है। सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी (एससीएल) मोहाली में मौजूदा फैब को एससीएल आधुनिक बनाया जा रहा है। हमने इसके आधुनिकीकरण और ग्लोबल इंडिया सेमीकंडक्टर रिसर्च सेंटर (आईएसआरसी) की स्थापना के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निर्धारित की है। भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने की दिशा में बीते 15 महीनों में हुई प्रगति उल्लेखनीय है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी जी के सबल नेतृत्व को जाता है। भारत आज बदलाव के महत्वपूर्ण मोड़ पर है। यह स्वतंत्र भार के इतिहास का सबसे रोमांचक काल है जब देश के युवाओं एवं छात्रों के लिए चाहे अंतरिक्ष का क्षेत्र हो या इलेक्ट्रॉनिक्स, इंटरनेट, एआई या सेमीकंडक्टर हर जगह जबरदस्त अवसर हैं। भारतीय युवाओं के लिए अगला दशक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसरों का दशक है, जिसे प्रधानमंत्री जी ने इसे इंडिया टेकेड का नाम दिया है।
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन से जुड़ा हर व्यक्ति आज भारत को सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनाने के हमारे प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीते 15 महीनों के दौरान इस दिशा में जिस रफ्तार से प्रगति हुई है उस रफ्तार को अगर हम आगे भी कायम रखते हैं तो नि:संदेह आगामी टेकेड में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर पाएंगे। अगले 10 साल में हम उतना हासिल कर पाएंगे हैं जितना हमारा पड़ोसी देश चीन 30 साल लगाने और 200 अरब डालर खर्च करने के बाद भी नहीं कर पाया।