देहरादून ।शासन ने जसपुर ऊधमसिंह नगर की बाल विकास परियोजना अधिकारी लक्ष्मी टम्टा को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए हैं। लक्ष्मी टम्टा ने अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई थी । विभिन्न स्तरों से हुई जांच के आधार में लक्ष्मी पर लगे आरोपों की पुष्टि हुई है।
उसके बाद शासन ने उनके खिलाफ सख्त कदम उठाया है। पंत ब्राह्मण हैं लेकिन पति की जाति टम्टा के आधार पर उन्होंने दूसरा प्रमाण पत्र बनाया था। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग निदेशक हरि चंद्र सेमवाल ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। यह प्रकरण हाईकोर्ट में भी गया था जिसके बाद ही शासन ने यह निर्णय लिया है। विवाह से पूर्व कुमारी लक्ष्मी पंत सामान्य जाति (उपजाति ब्राह्मण) के नाम से जानी जाती थी।
हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के शैक्षिक प्रमाण-पत्रों में कुमारी लक्ष्मी पंत दर्ज है। वर्ष 1982 में लक्ष्मी की शादी मुकेश लाल टम्टा से हुई । उसके बाद लक्ष्मी ने पंत की जगह टम्टा लिखना शुरू किया।
लक्ष्मी ने अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के मकसद से झूठे एवं धोखाधड़ी में अनुसूचित जाति ( शिल्पकार ) का प्रमाण पत्र प्राप्त कर इस विभाग में आरक्षण के कोटे से मुख्य सेविका के पद पर 1988 में नियुक्ति पाने एवं वर्ष 2003 में मुख्य सेविका से बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर पदोन्नति में आरक्षण का अनुचित लाभ प्राप्त कर वर्षों से शासकीय सेवा करती रहीं है।
दरअसल लक्ष्मी का यह पूरा मामला नियम के विपरीत है। जांच के दौरान जिलाधिकारी अल्मोड़ा ने भी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। असल में अनारक्षित श्रेणी की महिला यदि किसी आरक्षित श्रेणी के पुरुष से विवाह करती है तो उसे आरक्षित श्रेणी का लाभ नहीं मिलेगा।