नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक शनिवार को तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के ऊटी में संपन्न हुई। बैठक में संघ की शाखाओं को उनके सामाजिक दायित्वों के अनुरूप और अधिक सक्रिय करने पर चर्चा हुई। इसके अलावा मणिपुर की वर्तमान स्थिति और हिमाचल, उत्तराखंड एवं दिल्ली में बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए संघ द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्य की समीक्षा की गई।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक बयान में यह जानकारी दी। बयान में कहा गया है कि बैठक में मणिपुर की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। मणिपुर में संघ के स्वयंसेवक समाज के प्रबुद्ध लोगों के साथ मिलकर शांति तथा परस्पर विश्वास का वातावरण बनाने तथा पीड़ितों की आवश्यक सहायता करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
बैठक में संघ स्वयंसेवकों द्वारा पीड़ित लोगों के लिए चल रहे सहायता कार्यों को और अधिक व्यापक करने पर विचार हुआ। समाज के सभी वर्गों से अनुरोध किया गया कि परस्पर सौहार्द एवं शांति स्थापित करने के प्रयासों को गति दें। इसके साथ ही स्थायी शांति एवं पुनर्वास के लिए सरकार से हरसंभव कार्रवाई करने का आह्वान भी किया गया।
बैठक में हाल ही में हिमाचल के मंडी, कुल्लू आदि ज़िलों, उत्तराखंड एवं दिल्ली में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए संघ द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्य की समीक्षा की गई, तुरंत करणीय उपायों पर विचार किया गया। पिछले दिनों आई अन्य विपदाओं में किए गए कार्यों से विभिन्न प्रांतों द्वारा सभी को अवगत कराया गया।
संघ की शाखाओं द्वारा सामाजिक दायित्वों के अनुरूप, उनके आसपास के क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार कई सारे सामाजिक एवं सेवा कार्य समय-समय पर किए जाते हैं। बैठक में ऐसे कार्यों के विवरणों के साथ अनुभवों का आदान-प्रदान भी हुआ तथा संघ की प्रत्येक शाखा को इस दिशा में अधिक सक्रिय करने पर योजना बनी है।
बयान के अनुसार इस वर्ष 2023 में संघ के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष मिलाकर कुल 105 संघ शिक्षा वर्ग संपन्न हुए, जिसमें देशभर से कुल 21,566 शिक्षार्थी सहभागी रहे। इनमें 40 वर्ष की आयु से कम 16,908 तथा 40 से 65 आयु के 4658 शिक्षार्थियों ने भाग लिया।
देशभर में 39,451 स्थानों पर संघ की कुल 63,724 दैनिक शाखाएं तथा अन्य स्थानों पर 23,299 साप्ताहिक मिलन एवं 9,548 मासिक मंडली चल रही है। बैठक में संघ के विविध गतिविधियों के साथ आगामी शताब्दी वर्ष के कार्य विस्तार एवं शताब्दी विस्तारक योजना की भी समीक्षा की गई।