पनडुब्बी बनाने में भारत का सहयोग करेगा फ्रांस

पेरिस। भारत और फ्रांस ने अपनी रणनीतिक साझीदारी की 25वीं वर्षगांठ पर अपने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को अभूतपूर्व ऊंचाई देते हुए लड़ाकू विमानों के इंजन, स्कॉर्पीन पनडुब्बी एवं भारी मालवाहक हेलीकॉप्टर के इंजन के विकास एवं सह-उत्पादन के करार करने के साथ ही एक दीर्घकालिक रक्षा औद्योगिक सहयोग का रोडमैप बनाने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस की ऐतिहासिक यात्रा के संपन्न होने पर दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझीदारी को अगले 25 वर्षों तक विस्तार देने के रोडमैप “क्षितिज 2047: भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ, भारत-फ्रांस संबंधों की एक सदी की ओर” में यह घाेषणा की गयी। इस संयुक्त दस्तावेज में कहा गया है कि भारत-फ्रांस साझीदारी की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर दोनों देश 2047 तक द्विपक्षीय संबंधों की दिशा तय करने के लिए एक रोडमैप अपनाने पर सहमत हुए, जो भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की शताब्दी और रणनीतिक साझीदारी की स्वर्ण जयंती वर्ष का जश्न मनाएगा।
भारत और फ्रांस अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के हित में एक साथ काम करने का इरादा रखते हैं और भारत-फ्रांस और उससे आगे एक नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। वे अपने-अपने संप्रभु और रणनीतिक हितों के अनुरूप, समान लोगों के बीच साझेदारी के ढांचे के भीतर काम करने के लिए सहमत हैं, जैसा उन्होंने 1998 से किया है।
इस संयुक्त दस्तावेज में ‘सुरक्षा और संप्रभुता के लिए साझीदारी: संप्रभु रक्षा क्षमताओं का साझा निर्माण’ विषय में सामरिक सहयोग को रेखांकित किया गया है। दस्तावेज में कहा गया, “ भारत में आत्मनिर्भर रक्षा औद्योगिक एवं तकनीकी आधार विकसित करने में फ्रांस भारत के प्रमुख भागीदारों में से एक है। भारत और फ्रांस तीसरे देशों के लाभ सहित उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों के सह-विकास और सह-उत्पादन में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ”
दस्तावेज में कहा गया कि पांच दशकों से अधिक समय से सैन्य उड्डयन में अपने उत्कृष्ट सहयोग के अनुरूप, भारत और फ्रांस भारत द्वारा ऑर्डर किए गए 36 राफेल की समय पर डिलीवरी का स्वागत करते हैं। भविष्य में, भारत और फ्रांस लड़ाकू विमान इंजन को संयुक्त रूप से विकसित करके उन्नत वैमानिक प्रौद्योगिकियों में अपने रक्षा सहयोग का अभूतपूर्व विस्तार करेंगे। दोनों पक्ष भारतीय मल्टीरोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) कार्यक्रम के तहत भारी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों में मोटर लगाने के लिए सफ्रान हेलीकॉप्टर इंजन, फ्रांस के साथ औद्योगिक सहयोग के पक्षधर हैं। आईएमआरएच कार्यक्रम में इंजन विकास के लिए, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और सफ्रान हेलीकॉप्टर इंजन, फ्रांस के बीच साझीदारी का एक समझौता संपन्न हुआ है।
दस्तावेज के अनुसार आपसी विश्वास पर आधारित इस रक्षा औद्योगिक साझीदारी के अन्य उदाहरणों में शक्ति इंजन के लिए फोर्जिंग और कास्टिंग की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए भी सफ्रान हेलीकॉप्टर इंजन और एचएएल के बीच अनुबंध हुआ है। यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और मेक इन इंडिया को समर्थन देने की फ्रांसीसी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
दस्तावेज के मुताबिक भारत और फ्रांस ने पहले स्कॉर्पीन पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम (पी75-कलवरी) की सफलता की सराहना की और उसे मेक इन इंडिया का एक उत्कृष्ट मॉडल और दोनों देशों की कंपनियों के बीच नौसैनिक विशेषज्ञता साझा करने की सहमति का उदाहरण बताया। दस्तावेज में कहा कि भारत और फ्रांस भारतीय पनडुब्बी बेड़े और उसकी क्षमता को अधिक विकसित करने के लिए और महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम करने के लिए तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बेहद शक्तिशाली प्लेटफॉर्म हैं, इनमें उन्नत स्टील्थ यानी टोही उपकरणों से बचने वाली विशेषताएं हैं और ये लंबी दूरी के गाइडेड टॉरपीडो के साथ-साथ एंटी-शिप मिसाइलों से भी लैस हैं। इन पनडुब्बियों में उत्कृष्ट परिचालन क्षमताओं वाला अत्याधुनिक सोनार सूट और सेंसर सूट है।
दस्तावेज में कहा गया है कि इस उद्देश्य से, दोनों देश रक्षा औद्योगिक सहयोग पर एक रोडमैप अपनाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा औद्योगिक सहयोग में वृद्धि को देखते हुए, भारत ने पेरिस में अपने दूतावास में डीआरडीओ का एक तकनीकी कार्यालय स्थापित करने का फैसला किया है।
दस्तावेज में कहा गया कि ये उपरोक्त सह-उत्पादन के उपक्रम, भारत-फ्रांस के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के सफल अनुभव तथा महत्वपूर्ण घटकों और प्रौद्योगिकी निर्माण ब्लॉकों के साझाकरण एवं संयुक्त विकास में दोनों देशों के बीच भरोसे एवं विश्वास की भावना पर आधारित हैं।
दस्तावेज में हिन्द प्रशांत क्षेत्र में परस्पर सहयोग के बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए कहा गया है कि भारत और फ्रांस हिन्द प्रशांत क्षेत्र के राष्ट्र हैं जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर एक समान दृष्टिकोण साझा करते हैं। भारत और फ्रांस 2018 में परिभाषित हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस के संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण के तहत शुरू किए गए सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसलिए उन्होंने एक नया हिन्द प्रशांत रोडमैप अपनाया है। वे अपने आर्थिक और सुरक्षा हितों की रक्षा करने, विश्व में ध्रुवों, अंतरिक्ष एवं महासागरों में सभी देशों तक समान और स्वतंत्र पहुंच सुनिश्चित करने, क्षेत्र में समृद्धि और स्थिरता की साझीदारी बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
दस्तावेज में अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग के बारे में कहा गया कि फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस और इसरो मुख्य रूप से दो संरचनात्मक अक्षों के आसपास अपनी साझीदारी को मजबूत करेंगे। जलवायु और पर्यावरण, तृष्णा मिशन के विकास, जल संसाधन प्रबंधन, समुद्री संसाधनों और वायु गुणवत्ता निगरानी जैसे विषयों पर अंतरिक्ष जलवायु वेधशाला (एससीओ) के भीतर गतिविधियों में, भारत के मंगल, शुक्र ग्रह के अन्वेषण वाले गगनयान कार्यक्रम में, समुद्री निगरानी, ​​अंतरिक्ष मिशनों एवं मानवयुक्त उड़ानों के साथ साथ एनएसआईएल और एरियनस्पेस भी वाणिज्यिक लॉन्च सेवाओं में सहयोग करने की योजना बना रहे हैं।

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