डा.श्रीगोपालनारसन एडवोकेट
उत्तर प्रदेश के देवबन्द की भीनी भीनी खुशबू बिखेरती मिटटी में ही साहित्य सृजनात्मकता की गन्ध छिपी है, तभी तो देवबन्द ने कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर जैसा शैलियों का शैलीकार और शायरी का जादूगर नवाज देवबन्दी जैसी हस्तियों को जन्म दिया है।देवबंद की इसी साहित्यिक परम्परा को आगे का काम किया था डा. महेन्द्रपाल काम्बोज ने, जो धाड क्षेत्र के ग्राम हरिपुर से आकर देवबन्द में बस गए थे ।वे एक इन्टर कालेज में पहले अध्यापक और फिर उसी कालेज के प्रधानाचार्य रहे। महेन्द्रपाल काम्बोज को साहित्यिक क्षेत्र में कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर का उत्तराधिकारी माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन के 68 वर्षों में करीब दो दर्जन हिंदी साहित्यिक पुस्तको को जन्म दिया। महेन्द्रपाल काम्बोज की जीवटता जीवन पर्यन्त बनी रही।सन 2013 में महेन्द्रपाल काम्बोज देवबन्द में विश्व जागृति मिशन के संस्थापक सन्त सुधांशु जी महाराज के स्वागत कार्यक्रम में जुटे थे, तभी उनसे आखिरी भेंट हुई थी।उसके बाद अचानक उनकी तबियत बिगड गई और उन्हे नोएडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परन्तु अथक प्रयासो के बाद भी उन्हें बचाया नही जा सका था और वे 22 नवम्बर 2013 को इस दुनिया से अलविदा हो गए थे। उसके बाद तो देवबंद में जैसे साहित्यिक रिक्तता आ गई हो,तभी तो आज भी महेन्द्रपाल कांबोज यादों में जिन्दा है और सदा रहेंगे ।
महेन्द्रपाल काम्बोज एक अध्यापक के रूप में जितने निष्ठावान रहे ,उतने ही पत्रकारिता के प्रति भी ईमानदार रहे।भारतीयसंस्कृति ,हिन्दुत्व,राष्ट्रीयता ,सामाजिकता,भाईचारे के पक्षधर महेन्द्रपाल काम्बोज में साहित्य के अकुंर कब अकुंरित हुए पता ही नही चला।एक इन्टर कालेज के प्रधानाचार्य के रूप में एक तरफ उन्होने नई पीढी को ज्ञान से पल्लवित किया, वही दुसरी तरफ स्वंय भी सरस्वती के साधक बनते चले गए। महेन्द्रपाल काम्बोज के बिना देवबन्द,सहारनपुर,रूडकी की साहित्यिक गोष्ठियां अधुरी मानी जाती थी।अपनी साहित्यिक धरोहर के रूप में तीन खण्ड काव्य साहित्य समाज को देने वाले काम्बोज की लेखनी बच्चों पर भी खूब चलती थी। उन्होने आजादी के तरूण शहीद नामक अपनी पुस्तक में 6 वर्ष से लेकर किशोर आयु तक के बच्चों के आजादी के आन्दोलन में योगदान का विस्तृत वर्णन किया है। जिससे पता चलता है कि देश को आजादी दिलाने में बडो के साथ साथ बच्चे भी आगे रहें।
ख्यातिलब्ध साहित्यकार पदम श्री कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर जब देवबन्द से सहारनपुर जाकर बस गए और वही साहित्य साधना करते हुए ब्रहमलीन हो गए तो देवबन्द की साहित्यिक विरासत को महेन्द्र पाल काम्बोज ने कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर का सच्चा साहित्यिक उत्तराधिकारी बनकर संभाला था। उनके सानिदय और सहयोग से पश्चिमी उ0प्र0 का देवबन्द कस्बा साहित्य की हर विधा में आगे बढ़ा है। मां फूलवती व पिता रामप्रसाद काम्बोज के घर 12 जुलाई सन 1945 को जन्में महेन्द्रपाल काम्बोज ने तीन विषयों संस्कृत,हिन्दी व राजनीति में स्नात्कोत्तर किया था। काव्य रचना ,गद्य लेखन व वार्ताओं में पारगंत महेन्द्रपाल काम्बोज की मधुर वाणी,सदव्यवहार, सादगी भारतीय परिवेश की वेशभूषा और महर्षि दयानन्द सरस्वती की उनके जीवन पर अमिट छाप ने उन्हे एक अच्छा इंसान बनाया। तभी तो पश्चिमी उ0प्र0 में ही नही उत्तराखण्ड में भी उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है।
मां सरस्वती की उनपर विशेष कृपा ही कहे कि महेन्द्रपाल काम्बोज ने एक दशक से भी कम समय में करीब दो दर्जन पुस्तको का सजृन किया। उनकी प्रकाशित पुस्तको में ‘मेरी धरती मेरा अम्बर’,’धरती बांचे अम्बर पाती’, ‘मेरी धरती मेरे पेड’, ‘पर्वो की श्रखंला’,’नई उमंगे नईतरंगे’,’अन्तश का आकाश’,’बिटटू का बस्ता’,’अकल बडी या भैंस’, ‘कांवड मेला’,’सुलगी कलिया दहके फूल’,’कहानी पतंग की’, ‘स्वयं सेवक’,’वीर शिवा’,’अन्तू लाक्खा’ व ‘हरिपुरम’ आदि शामिल है। महेन्द्रपाल काम्बोज के साहित्य पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में जहां दो शोध कार्य हो चुके है। वही भारत सरकार के नेशनल बुक ट्रस्ट आफ इण्डिया ने भी उनकी पुस्तके प्रकाशित की है। वही दूरदर्शन और आकाावाणी पर उनकी अनेक वार्ताए भी प्रसारित हुई।लम्बे समय तक नवभारत टाइम्स समेत अनेक समाचार पत्रों के संवाददाता रहे महेन्द्रपाल काम्बोज की गिनती सक्रिय पत्रकारों में होती थी।अनेक क्षेत्रीय,प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय पुरूस्कारों से अलंकृत हो चुके महेन्द्रपाल काम्बोज को जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी राजराजेशवाश्रम महाराज ने भी सरस्वती पुत्र माना था। मुनि अरूण सागर जी महाराज हो या फिर पदमश्री डा0 श्याम सिंह शशि जैसे उच्चकोटि के साहित्यकार हो, सभी ने उनकी लेखनी को मुक्त कंठ से सराहा है।महेन्द्र पाल काम्बोज को जीवन में मान सम्मान की कभी कोई कमी नही रही। उन्हे उनकीे साहित्य सेवा के लिए मिले सम्मानो में अखिल भारतीय हिन्दी पत्रकार संध द्वारा हिन्दी गौरव,उ0प्र0 जर्नलिस्ट एाोसियेान द्वारा पत्रकारिता सम्मान,मानव कल्याण मंच द्वारा कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान,साहित्यिक संस्था चेतना द्वारा साहित्य श्री,अम्बेडकर शोध एवं मानव विकास संस्थान द्वारा समता सम्मान,विश्व जागृति मिशन द्वारा श्रद्धा सम्मान,स्वामी विवेकानन्द शिक्षा समिति द्वारा राष्ट्र पुरूष सम्मान,विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा विद्या वाचस्पति व विद्या सागर की मानद उपाधि, साथ ही राष्ट्रीय एकता सम्मान, हास्यश्री सम्मान,नाटय रत्न सम्मान,साहित्य शिरोमणि उपाधि,राष्ट्र भाषा सम्मान ,पंचवटी राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान समेत अनेक सम्मान मिले है।महेन्द्रपाल काम्बोज के साहित्य पर सकारात्मक टिप्पणी करने वालो में विष्णु खन्ना,डा. कुंवर बेचैन,विनोद बब्बर,परमानन्द पांचाल,डा. योगेन्द्रनाथ शर्मा अरूण,देवेन्द्र कुशवाह,ओ. पी. वर्मा,योगेन्द्रपाल दत्त,कर्ण सिंह सैनी,विशम्बर देव शास्त्री,पूरणचन्द शास्त्री,कृष्ण मित्र, भारत भूषण, सोमेवर दत्त वर्मा,कृष्ण शलभ,राजेन्द्र राजन और अखिलेष प्रभाकर जैसे कलमकार शामिल है।