भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों पर चीन ने दी प्रतिक्रिया

बीजिंग। चीन ने कहा कि देशों के बीच सहयोग से न तो क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को कमजोर किया जाना चाहिए, और न ही किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाया जाना चाहिए।

चीन की यह प्रतिक्रिया भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में हुए विभिन्न रक्षा और वाणिज्यिक समझौतों के परिप्रेक्ष्य में आई है। इन समझौतों में लड़ाकू विमानों के लिए एफ414 जेट इंजनों का संयुक्त उत्पादन एवं सशस्त्र ड्रोन की खरीद शामिल है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘चीन का यह लंबे समय से रुख रहा है कि राष्ट्रों के बीच सैन्य सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करने के लिए नहीं होना चाहिए, साथ ही, किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए या किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए।”

वह रूस की एक सरकारी समाचार एजेंसी के उस सवाल का जवाब दे रही थीं, जिसमें उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान हुए कई रक्षा और वाणिज्यिक समझौतों के बारे में उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी।

प्रवक्ता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि संबंधित देश क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के मामले में क्षेत्रीय देशों के बीच आपसी विश्वास के अनुकूल काम करेंगे।” जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस ने घोषणा की है कि इसने भारतीय वायुसेना के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए)-एमके-द्वितीय तेजस के लिए संयुक्त रूप से लड़ाकू जेट इंजन बनाने के वास्ते हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारत ने जनरल एटमिक्स से सशस्त्र एमक्यू-9बी सीगार्जियन ड्रोन खरीदने के अपने इरादे की घोषणा की। यह उन्नत प्रौद्योगिकी भारत की खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं को बढ़ाएगी। जनरल एटमिक्स का एमक्यू-9 ‘रीपर’ सशस्त्र ड्रोन 500 प्रतिशत अधिक पेलोड ले जा सकता है और पहले के एमक्यू-1 प्रीडेटर की तुलना में इसमें नौ गुना अधिक अश्वशक्ति है।

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