अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस की चुप्पी संदेह पैदा करती है : आप

नयी दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने कहा कि जब तक कांग्रेस अध्यादेश पर अपना रुख साफ नहीं करती, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए ऐसी किसी भी बैठक या दल में शामिल होना मुश्किल है, जिसमें कांग्रेस शामिल होगी। बिहार की राजधानी पटना में हुई बैठक के बाद आम आदमी पार्टी ने एक आधिकारिक बयान जारी किया।

आम आदमी पार्टी ने कहा, जब तक 31 राज्यसभा सांसदों वाली कांग्रेस पार्टी सार्वजनिक रूप से इस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी तब तक आम आदमी पार्टी के लिए भविष्य में होने वाली ऐसे बैठकों में जहां कांग्रेस हिस्सा ले रही हो वहां हिस्सा लेना मुश्किल होगा। अब समय आ गया है कि कांग्रेस ये तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ।

आप ने कहा कि केंद्र सरकार के काले अध्यादेश के खिलाफ़ कांग्रेस की चुप्पी उसके इरादों पर संदेह पैदा करती है। ‘आप’ ने बयान जारी करके कहा कि कांग्रेस की यह चुप्पी उसके इरादों पर संदेह पैदा करती है। व्यक्तिगत चर्चाओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में अध्यादेश पर मतदान की प्रकिया से दूर रह सकती है। अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस को मतदान से दूर रहने से भाजपा को आगे भी देश के लोकतंत्र पर हमला करने में काफी मदद मिलेगी।

बयान में कहा गया कि केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है। यदि इसे चुनौती नहीं दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में भी अपनाई जा सकती है।

इसका परिणाम यह होगा कि जनता द्वारा चुनी गई दूसरे राज्य सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है इसलिए इस काले अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना बहुत ही जरूरी है।

बयान में कहा कि पटना की बैठक में समान विचारधारा वाली 15 पार्टियां शामिल हुईं। इन में से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी 11 दलों जिनका राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है, उन्होंने काले अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख साफ कर दिया है और इन पाटिर्यों ने घोषणा की है कि वे राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे।

बयान के अनुसार कांग्रेस, एक राष्ट्रीय पार्टी है, जो लगभग सभी मुद्दों पर एक स्टैंड लेती है। इसके बाद भी कांग्रेस ने अभी तक काले अध्यादेश को लेकर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है।

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