सोना-पीतल विवाद उलझा

प्रधानमंत्री भी आहत, पीएओ की पैनी नजर

देहरादून। बाबा केदार नाथ मंदिर के गर्भ गृह में स्वर्ण जड़ित कराने का मुद्दा अब उलझता ही जा रहा है। बवाल इतना ज्यादा मच गया है कि श्री बदरीनाथ-केदार मंदिर समिति ने स्वर्ण जड़ित कराने के मामले से खुद को अलग कर लिया है।

अब जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी कि मंदिर के गर्भ गृह में लगी प्लेटें स्वर्ण जड़ित थी या पीतल जड़ित। इस प्रकरण में दोषी कौन है। यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन इतना तो तय है कि इस प्रकरण से मंदिर समिति भला किस तरह से बच सकती है।
गर्भ गृह में स्वर्ण जड़ित कराने के लिए दानी दाता ने मंदिर समिति से संपर्क साधा और समिति ने अपने बोर्ड की बैठक में गर्भ गृह में स्वर्ण जड़ित कराने का फैसला लिया। अब समिति इस प्रकरण से पल्ला झाड़ने में जुटी हुई है। पर समिति को यह नहीं भूलना चाहिए कि केदारनाथ धाम प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक है।

सोना से पीतल में तब्दील होने की खबर जैसे ही देश-विदेश में फैली प्रधानमंत्री कार्यालय हरकत में आ गया । प्रधानमंत्री कार्यालय के सीनियर अधिकारी केदारनाथ धाम पर पूरी तरह से नजर रखे हुए हैं। केदारनाथ धाम के पंडा पुरोहित भी यहां हुई हेराफेरी से काफी आहत हैं। धर्माचारयों का मानना है कि दानी दाता अब तक खामोश क्यों है।

क्या मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने अब तक दानी दाता से संपर्क नहीं साधा है। यदि ऐसा नहीं हुआ है तो इसके लिए भी मंदिर समिति ही जिम्मेदार है। यहां बताना जरूरी है कि वर्ष 2005 में बदरीनाथ में भी सोने की चादर चढ़ाई गई थी। उस दौरान करीब 50 किलोग्राम सोना लगा था।

पर आज तक बदरीनाथ में लगा सोना पीतल में तब्दील नहीं हुआ। इससे यह बात तो साफ हो गई है कि बदरीनाथ में खांटी सोना ही दानीदाता ने जड़ा था। केदारनाथ में गर्भ गृह में जड़ित सोना की कीमत करीब डेढ़ अरब है। यह गंभीर मामला है। इसकी पड़ताल उच्च स्तरीय एजेंसी से कराने की जरूरत है।क्योंकि यह आस्था का सवाल है।

देश-विदेश से करोड़ों भक्त बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। भक्त भी जानना चाहते हैं कि केदारनाथ के गर्भ गृह में जड़ित सोना है या पीतल। यदि वाकई सोना पीतल में तब्दील हो गया है तो यह गंभीर घटना है। आस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए। इस प्रकरण को लेकर कांग्रेस और भाजपा भी आमने-सामने हैं। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप मढ़ने में जुटी हुई हैं।
समिति ने कहा कि, “2005 में इसी दानदार ने बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह को भी सोने से जड़वाने का काम कराया था। लेकिन अभी एक सोची-समझी साजिश के तहत ऐसे घटिया आरोप लगाए जा रहे हैं। ये सब जानते हैं कि यात्रा में अच्छी व्यवस्थाओं के चलते यात्रियों की संख्या काफी बढ़ी है।

श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड तौर पर बढ़ी हैं, खासकर केदारनाथ में। छोटे राजनैतिक तत्वों को ये बात पसंद नहीं आ रही है। ये ही लोग यात्रा को प्रभावित करने के लिए भ्रम फैला रहे हैं। ये केदारनाथ धाम की छवि खराब करना चाहते हैं।”
उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में सोने के पीतल में बदले जाने के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग पहले से ही कर रहे हैं।

जांच से मंदिर समिति को घबड़ाना नहीं चाहिए। सोना से जुड़ा हर दस्तावेज मंदिर समिति के पास है। समिति को तो खुद ही जांच के लिए पहल करनी चाहिए। पर मंदिर समिति इस विवाद से पल्ला झाड़ने में जुटी हुई है। ऐसे में तो मंदिर समिति भी शक के दायरे में आ गयी है। बहरहाल, जो हो इस विवाद का निपटारा तो होना ही चाहिए। इस प्रकरण में ढुलमुल रवैया अख्तियार करना ठीक नहीं है। यदि अफवाह है तो इस पर भी विराम तो लगना ही चाहिए।

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