नई दिल्ली। दिल्ली में 2014 के बाद से मौसम ने पहली बार ऐसी करवट ली है कि मानसून से पहले राष्ट्रीय राजधानी में लोगों को लू का प्रकोप नहीं झेलना पड़ा। प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला के अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
हालांकि कुछ इलाकों में अप्रैल और मई में बहुत थोड़े समय के लिए लू जैसे हालात देखे गए। पिछला इतिहास देखें तो दिल्ली में सबसे गर्म महीने मई में औसत अधिकतम तापमान 39.5 डिग्री सेल्सियस रहता है।
इस बार इस महीने में तापमान सामान्य से नीचे रहा और अधिक बारिश हुई। मौसम विज्ञानियों ने सामान्य से अधिक पश्चिमी विक्षोभ को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पश्चिमी विक्षोभ एक मौसम प्रणाली है, जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होती है और इसके कारण मानसून से पहले के सीजन यानी मार्च से मई के बीच उत्तर-पश्चिम भारत में बेमौसम बारिश होती है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, “आमतौर पर, अप्रैल और मई में उत्तरी मैदानी इलाकों में पांच से छह पश्चिमी विक्षोभ दर्ज किए जाते हैं। हमने इस बार 10 पश्चिमी विक्षोभ देखे हैं, जिनमें ज्यादातर मजबूत हैं।”
मई में दिल्ली में केवल नौ दिन अधिकतम तापमान 40 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया। इनमें से दो दिन कुछ हिस्सों में लू जैसी स्थिति बनी। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, सफदरजंग वेधशाला ने मई में अब तक 86.7 मिमी बारिश दर्ज की है। मई महीने में राष्ट्रीय राजधानी में औसतन 19.7 मिमी बारिश होती है।
श्रीवास्तव ने कहा, “दिल्ली के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला ने इस साल मॉनसून पूर्व सीजन में कोई लू दर्ज नहीं की है। 2014 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है।” मौसम केंद्र ने पिछले साल मानसून पूर्व सीजन में 13 बार लू दर्ज की थी। इनमें से नौ बार अप्रैल जबकि चार बार मई में लू दर्ज की गई थी।
आईएमडी के मुताबिक, मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री सेल्सियस के पार जाने या सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होने पर चलने वाली गर्म हवाओं को ‘लू’ घोषित किया जाता है।