अडाणी मामला, समिति ने कहा, सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि वह अडाणी समूह के शेयरों में हुई तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है। समिति ने यह भी कहा है कि सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है।
छह सदस्यीय समिति ने हालांकि कहा कि अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडाणी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया।

समिति ने उच्चतम न्यायालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा, ”ऐसे में आंकड़ों के आधार पर सेबी के स्पष्टीकरण को ध्यान में रखते हुए, समिति के लिए यह निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि कीमतों में हेराफेरी के आरोप में किसी तरह की नियामक विफलता रही है।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक प्रभावशाली प्रवर्तन नीति की जरूरत है, जो सेबी की सांविधिक स्थिति के अनुरूप हो।

समिति ने कहा कि वह यह भी नहीं कह सकती कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों या संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन पर सेबी की ओर से नियामकीय विफलता रही है। बाजार नियामक सेबी अडाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा था और उसके समानांतर शीर्ष अदालत ने समिति की नियुक्ति की थी। हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। अडाणी समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है

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