रुड़की।नगर निगम को शासन विकास के लिए धन आवंटित करता है और इसी के साथ नगर से टैक्स के रूप में भी बड़ा बजट जमा होता है।यह सब आम नागरिक की मेहनत की कमाई होती है,यदि इस बजट को कोई अधिकारी-कर्मचारी डकार जाए तो बड़ी ही कष्टदायक और चिंता में डाल देने वाली बात है और वह भी रुड़की जैसे जागरूक नगर में,जहां पर पढ़े-लिखे लोंगों की संख्या काफी अधिक है,जो ऑडिट रिपोर्ट वायरल हो रही है और नगर निगम से इस संबंध में सवाल-जवाब भी किए गए हैं,उसमें नगर निगम के द्वारा सृजीत पदों से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति दर्शाकर कोई 1-2000 नहीं,बल्कि 17945160 रुपए का भुगतान होना दर्शाया गया है,जोकि बहुत बड़ी धनराशि है।इसमें लेखा परीक्षक 04,कर संग्रह कर्ता,04,पर्यावरण पर्यवेक्षक 15,पर्यावरण मित्र 28,नायब तहसीलदार 01,वाहन चालक 8 जबकि वाहनों की संख्या 49 है,जिसके सापेक्ष 57 पद भरे गए हैं,जबकि शासन के आदेश में स्पष्ट है कि यदि अधिकारी स्तर पर कोई सर्जित पद से अधिक कर्मचारी नियुक्त करता है तो वह स्वतः ही शून्य मानी जाएगी।ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तो होगी ही,साथ ही अपने स्तर से नियुक्त किए गए कर्मचारियों को जारी किए गए मानदेय का पूरा बजट भी संबंधित अधिकारी के वेतन या पेंशन से वसूला जाएगा।नगर आयुक्त की अनुमति के बिना सहायक नगर आयुक्त स्तर से कोई भी कर्मचारी नियुक्त नहीं किया जा सकता,वैसे तो नगर निगम स्तर से कुछ ठेकेदारों को अधिक भुगतान भी किया गया,जिसमें 2 लाख 28 हजार 960 रुपए की वसूली करने के लिए भी कहा गया है।यह बात अलग है कि वसूली की कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है,इसके अलावा भी 489936 रुपए का अधिक भुगतान किया गया है।यह एक ही कार्य की दो बार स्वीकृति और भुगतान का मामला है।नालों की सफाई कार्य पर 6522939 रुपए दर्शाए गए हैं।इसका ऑडिट किए बिना ही भुगतान किया गया है।साफ है कि बड़ी वित्तीय अनियमितता हुई है,तो अब सवाल उठ रहा है कि यह बजट किसकी जेब में गया है।अधिकारी हड़प गए हैं या फिर कर्मचारी।इस बारे में नगर के जागरूक नागरिक नगर निगम के अधिकारियों से सवाल-जवाब कर रहे हैं।इस संबंध में विभिन्न स्तरों से शासन को शिकायत भी भेजी गई है।नगर निगम रुड़की में पिछले कुछ सालों में हुए वित्तीय अनियमितताओं की एसआईटी कराने की मांग की गई है।जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में प्रदेश शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलेगा,ताकि नगर निगम के वित्तीय घोटाले की जांच एसआईटी से हो सके और उन अधिकारियों से यह सरकारी बजट वसूला जाए सके,जोकि कागजों में हेराफेरी कर पैसा हड़प चुके हैं,वहीं मेयर गौरव गोयल इस बारे में अपनी स्थिति मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में स्पष्ट कर चुके हैं कि सब गोलमाल अधिकारी स्तर पर ही हुआ है।इस बाबत वह समय-समय अपनी ओर से पर शिकायत कर चुके हैं।इनमें कुछ मामलों की जांच भी चल रही है।यहां पर पूर्व में रहे सहायक नगर आयुक्त के खिलाफ जिलाधिकारी हरिद्वार के द्वारा जांच कमेटी का गठन किया गया है।