नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा उनकी ओर से उठाए गए व्यवस्था के प्रश्न को खारिज किए जाने के बाद कहा कि पीठासीन अधिकारियों को निष्पक्ष और दलगत भावना से मुक्त होना चाहिए तथा वे सत्तापक्ष के साथ अपनी वफादारी नहीं दिखा सकते। उन्होंने धनखड़ को पत्र लिखकर अपनी ओर से विरोध दर्ज कराया है।
सभापति उठाए गए व्यवस्था के प्रश्न को किया था खारिज
उल्लेखनीय है कि सभापति धनखड़ ने राज्यसभा में खरगे द्वारा उठाए गए व्यवस्था के प्रश्न को खारिज कर दिया। व्यवस्था के प्रश्न के तहत खरगे ने आसन से राज्यसभा की कार्यवाही से सदन के नेता पीयूष गोयल के वक्तव्य के उन अंशों को हटाने की मांग की थी जिसमें राहुल गांधी का नाम लिए बिना उनसे माफी मांगने को कहा गया था। खरगे ने कहा था कि गांधी चूंकि दूसरे सदन के सदस्य हैं, इसलिए उनका परोक्ष रूप से भी उल्लेख नहीं हो सकता है।
धनखड़ ने अपनी व्यवस्था में कहा कि सदन के नेता पीयूष गोयल ने अपने वक्तव्य में किसी का भी नाम नहीं लिया था, अत: खरगे की आपत्ति निराधार है। सभापति को लिखे पत्र में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने उच्च सदन में उनकी ओर से उठाए गए व्यवस्था के प्रश्न से जुड़े घटनाक्रम का उल्लेख किया और कहा कि उनका इरादा इस बात को सामने रखने का था कि इस सदन में दूसरे सदन के सदस्य का हवाला नहीं दिया जा सकता।
उनका कहना है कि सदन के नेता गोयल ने 13 मार्च को राज्ययभा में राहुल गांधी का हवाला देकर जो टिप्पणियां की थीं वो पूरी तरह निराधार और अपमानजनक थीं।
खरगे ने कहा, ‘‘हम पहले भी कई मौकों पर कह चुके हैं, उसे फिर से दोहराना चाहता हूं। विधायिका में सभी पीठासीन अधिकारियों से निष्पक्ष और दलगत भावना से मुक्त होने की अपेक्षा की जाती है। वे अपने पूर्वाग्रह या अपनी वफादारी प्रदर्शित नहीं कर सकते।