नई दिल्ली। संसद में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित किए जाने की मांग करते हुए बुधवार को भी हंगामा किया जिसके कारण दोनों सदनों में गतिरोध जारी रहा।
हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर पांच मिनट पर जबकि राज्यसभा एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजकर 18 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।
दोनों ही सदनों में शून्यकाल एवं प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गये। बजट सत्र के 13 मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण में दोनों सदनों में लगातार गतिरोध बना हुआ है। लोकसभा की कार्यवाही आज पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होते ही कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य जेपीसी की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे और आसन के निकट पहुंच गए। उन्होंने काले कपड़े पहन रखे थे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 23 मार्च को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद से कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य विरोध स्वरूप काले कपड़े पहनकर संसद पहुंच रहे हैं। विपक्षी सदस्यों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं और उन्होंने ह्यवी वांट जेपीसी के नारे लगाए। पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की।
हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने 11 बजकर एक मिनट पर ही सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की बैठक अपराह्न दो बजे आरंभ हुई तो स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही, पीठासीन सभापति रमा देवी ने आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाए।
हंगामे के बीच ही केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने ह्यतटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 को सदन में पेश किया। रमा देवी ने विपक्षी सदस्यों से शांत होने और सदन चलने देने की अपील की। हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने अपराह्न दो बजकर पांच मिनट पर कार्यवाही बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
उधर, राज्यसभा की सुबह बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाना शुरू किया। इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं। इसी बीच, विपक्ष के कुछ सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे।
आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने अडाणी मुद्दे पर जेपीसी गठित करने की मांग की। सभापति ने उन्हें अपनी सीट पर लौटने को कहा लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने कार्रवाई की चेतावनी दी।
हंगामा थमता नहीं देख सभापति ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब चार मिनट के भीतर ही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला।
सभापति धनखड़ ने सदस्यों को सदन में शांति बनाये रखने को कहा ताकि वह नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा 13 मार्च को उठाये गये व्यवस्था के एक प्रश्न पर अपनी व्यवस्था दे सकें। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है जिस पर व्यवस्था सुनाने के लिए सदन में सामान्य स्थिति बहाल होनी चाहिए। हंगामे के बीच ही सभापति ने नेता प्रतिपक्ष खरगे को अपनी बात रखने का अवसर दिया।
खरगे ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत अपनी बात रखने का प्रयास किया किंतु सरकार उन पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं। उन्होंने मांग की कि अडाणी समूह से जुड़े मामले में संयुक्त जांच समिति गठित की जाए। सदन के नेता पीयूष गोयल ने उनकी बात का विरोध करते हुए दावा किया कि खरगे ऐसी बात कर रहे हैं जिसका सदन से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के एक नेता ने देश, सदन और आसन का अपमान किया है।
गोयल ने राहुल गांधी का नाम लिये बिना कहा कि देश, लोकतंत्र और न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद सभापति धनखड़ ने हंगामे के बीच ही अपनी व्यवस्था दी जिसमें उन्होंने खरगे द्वारा उठाये गये व्यवस्था के प्रश्न को खारिज कर दिया। व्यवस्था के प्रश्न के तहत खरगे ने आसन से राज्यसभा की कार्यवाही में से सदन के नेता गोयल के वक्तव्य के उन अंशों को हटाने की मांग की थी जिसमें राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनसे माफी मांगने को कहा गया था।