नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश के वरिष्ठतम भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी राजीव भरतरि को मंगलवार सुबह दस बजे प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) का दायित्व सौंपने के निर्देश दिये हैं। साथ ही सरकार को जवाब देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने राजीव भरतरि की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सोमवार को ये निर्देश जारी किये।
भरतरि की ओर से कहा गया कि सरकार को केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में तीन बार शिकस्त मिलने के बावजूद प्रदेश सरकार उन्हें पीसीसीएफ पद पर बहाल नहीं कर रही है। सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता पर गंभीर आरोप हैं और सरकार याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर रही है। इसलिये उन्हें पीसीसीएफ पद का दायित्व सौंपना उचित नहीं है।
भरतरि की ओर से कहा गया कि सरकार राजनीतिक दुर्भावना से काम कर रही है। कैट का ओदश जारी होने एवं उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने के बाद उनके खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर रही है। पीसीसीएफ विनोद सिंघल की ओर से भी अदालत को बताया गया कि उन्होंने कैट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है लेकिन अदालत ने उन्हें कोई राहत प्रदान नहीं की और श्री भरतरि को अपने आदेश में कल सुबह दस बजे पीसीसीएफ का पदभार लेने को कहा।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 25 नवम्बर, 2021 को श्री भरतरि को पीसीसीएफ पद से हटा दिया था और उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया था जबकि उनकी जगह विनोद सिंघल को पीसीसीएफ पद पर तैनात कर दिया। भरतरि की ओर से सरकार के इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। अदालत ने भरतरि को राहत नहीं दी लेकिन सिंघल के नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय के आदेश को याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत (एससी) में चुनौती दे दी। एससी ने 12 दिसंबर, 2021 को सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को सरकार के आदेश को कैट में चुनौती देने को कहा। कैट की नैनीताल स्थित सर्किट बेंच ने 24 फरवरी, 2023 को मामला सुनने के बाद सरकार के 25 नवम्बर, 2021 के आदेश को खारिज कर दिया और भरतरि को पीसीसीएफ पद पर बहाल करने के निर्देश दिये।
सरकार यहीं नहीं मानी और उसने कैट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। कैट ने फिर सरकार को झटका देते हुए 20 मार्च, 2023 को पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद विनोद सिंघल मैदान में कूदे और उन्होंने कैट में याचिका दायर कर 24 मार्च, 2023 के आदेश को चुनौती दे दी लेकिन कैट ने विनोद सिंघल की याचिका को भी खारिज कर दिया। अब सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। देखना है कि वह कल भरतरि को पीसीसीएफ का पदभार सौंपती है या फिर कोई और चाल चलती है।