नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र भारत की प्राचीन संस्कृति का सहज भाव है और इसीलिए तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत आज सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था और इस बात का जीवंत उदाहरण है कि लोकतंत्र परिणामकारी होता है।
मोदी ने लोकतंत्र को लेकर दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिरकत करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत के भारत के 1.4 अरब लोगों की ओर से शुभकामना ज्ञापन के साथ की। उन्होंने कहा कि निर्वाचित नेताओं का विचार प्राचीन भारत में शेष विश्व से बहुत पहले एक सामान्य बात थी।
हमारे प्राचीन महाकाव्य महाभारत में नागरिकों का पहला कर्तव्य अपने नेता को चुनने के रूप में वर्णित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पवित्र वेदों में व्यापक-आधारित परामर्शी निकायों द्वारा राजनीतिक शक्ति का प्रयोग करने की बात कही गयी है। प्राचीन भारत में गणराज्य राज्यों के कई ऐतिहासिक संदर्भ भी हैं, जहां शासक वंशानुगत नहीं थे। इसीलिए हम कहते हैं कि भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है।
लोकतंत्र केवल एक संरचना नहीं है, यह एक आत्मा भी है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर इंसान की जरूरतें और आकांक्षाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए, भारत में, हमारा मार्गदर्शक दर्शन ‘सबका साथ, सबका विकास’ है, जिसका अर्थ है कि समावेशी विकास के लिए एक साथ प्रयास।
उन्होंने कहा कि चाहे जीवन शैली में परिवर्तन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लड़ने का हमारा प्रयास हो, वितरित भंडारण के माध्यम से जल संरक्षण करना हो, या सभी को स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन प्रदान करना हो, हर पहल भारत के नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से संचालित होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कठिन के दौर में भारत की प्रतिक्रिया हमारे लोगों द्वारा संचालित थी। लोगों ने ही भारत निर्मित टीकों की दो अरब से अधिक खुराक देना संभव बनाया है। हमारी ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल ने लाखों टीकों को दुनिया के साथ साझा किया। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की लोकतांत्रिक भावना से भी प्रेरित था।
मोदी ने कहा, ‘‘लोकतंत्र के गुणों के बारे में कहने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन मुझे बस इतना कहना है: भारत, कई वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, आज सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। यह अपने आप में दुनिया में