रूड़की । आल इंडिया सूफी संत परिषद के राष्ट्रीय महासचिव व अंतरराष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया,कि उन्होंने अपने रमजान के शुभकामना संदेश में पैगम्बर ए इस्लाम हज़रत मोहम्मद (स.व.)की हदीस (पैगाम) को दुनिया के करोड़ों लोंगो तक पहुँचा कर “सर्वधर्म समभाव” व ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की विचारधारा को बल दिया है।
अफजल मंगलौरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी आजाद भारत के एकमात्र पहले प्रधानमंत्री हैं,जिन्होंने अपने श्रीमुख से पैगम्बर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की हदीसों को बयान करके पूरे विश्व के मुसलमानों के दिल में विश्वास पैदा किया है।मोदी ने अपने रमज़ान संदेश में मोहम्मद साहब के हवाले से कहा कि रमजान श्रद्धा और सम्मान का महीना है।रमजान का सामूहिक पहलू यह है कि जब इंसान खुद भूखा व प्यासा होता है तो उसको दुसरों की भूख व प्यास का एहसास होता है।
मोदी ने अपने रमज़ान सन्देश में कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब की शिक्षा और उनके व्यक्तित्व को याद करने का बेहतरीन अवसर है,क्योंकि उनके जीवन सन्देश से समानता और भाईचारे को बल मिलता है।प्रधानमंत्री मोदी ने पैगम्बर मोहम्मद साहब की हदीस का हवाला देते हुए कहा कि एक बार किसी व्यक्ति ने पैगम्बर साहब से पूछा कि कौनसा कार्य अच्छा है तो मोहम्मद साहब ने फरमाया कि किसी गरीब और जरूरत मन्दों को खिलाना और सभी से सद्भाव से मिलना चाहे आप उनको जानते हो या नहीं,सबसे अच्छा काम है।
मोदी ने कहा कि पैगम्बर मोहम्मद साहब ज्ञान और करुणा में विश्वास रखते थे और उनको किसी बात का अहंकार नहीं था।प्रधानमंत्री मोदी ने पैगम्बर मोहम्मद साहब की एक और हदीस को बयान करते हुए कहा कि रमजान में दान (जकात) का बड़ा महत्व है,जिस किसी व्यक्ति पर अपनी जरूरत से अधिक धन हो तो वह उसमें से जरूरत मन्दों के लिए जरूर निकाले।
उनका मानना था कि कोई व्यक्ति अपनी पवित्र आत्मा से अमीर होता है न कि धन दौलत से।अफजल मंगलौरी ने मुस्लिम भाईयों से अपील की कि पैगम्बर ए इस्लाम की इन हदीसों को अपने अहले वतन भाइयों तक अधिक से अधिक तादाद में पहुचाएं और अमल भी करें।उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील कि इस बार सरकारी स्तर पर सामुहिक रोजा अफ्तार का उसी प्रकार आयोजन किया जाय,जिस प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी व डॉ.मनमोहन सिंह के शासन में होता रहा है।