देहरादून । भारत ही नहीं, अपितु विश्व भर में योग गुरु के रूप में विख्यात स्वामी रामदेव के 29वें संन्यास दिवस के अवसर पर, पतंजलि संन्यासाश्रम के तत्वावधान में बुधवार को हिन्दू नववर्ष की चैत्र प्रतिपदा से 31 मार्च तक चलने वाले 10 दिवसीय संन्यास दीक्षा महोत्सव का भव्यता से शुभारंभ हो गया।
इसमें रामनवमी के दिन, लगभग 40 विदुषी तथा 60 विद्वानो को स्वामी रामदेव संन्यास की दीक्षा देंगे। साथ ही लगभग 500 प्रबुद्ध भाई-बहन आचार्य बालकृष्ण से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेंगे। सन्यास दीक्षा महोत्सव के शुभारंभ पर आज श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज ने संन्यास परम्परा में दीक्षित होने वाले भाई-बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैदिक परम्परा में सर्वोच्चतम पुष्प संन्यास है। संन्यास अपने भीतर से खिलना चाहिए और संन्यासी को ऐसा अनुभव करना चाहिए कि मैं भगवत स्वरूप सृष्टि की सेवा के लिए समर्पित हो रहा हूँ।
उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ से शताधिक विद्वान व विदुषियाँ संन्यास की दीक्षा लेंगे तथा 15000 से ज्यादा युवाओं ने संन्यस्त होने की रुचि दिखाई जिनमें 500 प्रबुद्ध भाई-बहन आचार्य जी से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेंगे, यह रोमांचित करने वाला स्वर्णक्षण है। स्वामी रामदेव ने कहा कि रामनवमी के दिन चार वेदों के महापरायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ रामराज्य की प्रतिष्ठा तथा हिन्दु राष्ट्र का गौरव अपने हृदय में संजोकर और सनातन धर्म को युग धर्म और विश्व धर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए शताधिक नव-संन्यासी हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों की संन्यास परम्परा में दीक्षित होंगे।
ये वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन अष्टाध्यायी, व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में निष्णात होकर योगधर्म, ऋषिधर्म, वेदधर्म, सनातन धर्म की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए संकल्पित होंगे। इससे भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण के अभियान को ऊर्जा मिलेगी। योग पुरुष ने कहा कि पतंजलि में स्त्री-पुरुष, जाति, मत, पंथ, धर्म, सम्प्रदाय की संकीर्णताओं का कोई भेद नहीं है।
यहाँ सभी वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन समान भाव से इस ऐतिहासिक दिव्य-भव्य संन्यास दीक्षा में दीक्षित होकर सनातन धर्म की पताका पूरे विश्व में फहरायेंगे। राम मंदिर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इससे रामराज्य की प्रतिष्ठा होगी। राम मंदिर के साथ-साथ यह देश का राष्ट्र मंदिर भी बने। स्वामी रामदेव ने कहा कि लोगों का चरित्र निर्माण हो, व्यक्तित्व का निर्माण हो तथा एक दिव्य नेतृत्व का निर्माण हो।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर का लोकार्पण अगले वर्ष जनवरी में हो जाएगा तथा धारा 370 भी समाप्त हो गई है। अब दो कार्य शेष हैं- समान नागरिक संहिता तथा जनसंख्या नियंत्रण का काम, यह भी 2024 तक हो ही जाना चाहिए। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सत्य सनातन वैदिक परम्परा की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए पतंजलि द्वारा अनेक वैदिक गुरुकुलों का संचालन किया जा रहा है।
उन गुरुकुलों में जाति, मत, पंथ, धर्म, सम्प्रदाय की संकीर्णताओं से रहित अनेक समुदायों व प्रांतों के सैकड़ों भाई-बहनों प्राचीन शास्त्रें का गहन अध्ययन कर योग्य विद्वान् व विदुषियों के रूप में तैयार हो रहे हैं जो संन्यास परम्परा में दीक्षित होकर राष्ट्र जागरण एवं आध्यात्मिक उत्थान के सात्विक नेतृत्व के लिए अपने जीवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। उन्होंने कहा कि ये संन्यासी भारत को विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने व हिन्दू सनातन धर्म को राष्ट्रधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने का संकल्प लेंगे।