नूतन भारद्वाज की याद में हुई काव्य संध्या और कवियों का सम्मान

रुड़की। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ आनंद भारद्वाज  की स्वर्गीय पत्नी श्रीमती नूतन भारद्वाज की चतुर्थ पुण्यतिथि पर  श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु रुड़की की नवसृजन साहित्यिक संस्था के तत्वाधान में एक वृहत् काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा “अरुण” ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में विधायक प्रदीप बत्रा मौजूद रहे।  विशिष्ट अतिथि के रूप में  साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन, नवसृजन संस्था के वरिष्ठ संरक्षक  सुबोध पुंडीर सरित् , समन्वयक  सुरेन्द्र कुमार सैनी, डॉक्टर दिनेश त्रिपाठी, मैनपुरी से पधारे गीतकार बलराम श्रीवास्तव , पौड़ी की कवियत्री डॉ. ऋतु सिंह,भाजपा के जिला अध्यक्ष शोभाराम प्रजापति, शिक्षक नेता डॉ. अनिल शर्मा, तथा कार्यक्रम के आयोजक डा.आनन्द भारद्वाज उपस्थित रहे। संचालन नवसृजन संस्था के अध्यक्ष  नीरज नैथानी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पौड़ी से पधारी कवियत्री डॉ. ऋतु सिंह  ने  सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके किया। डॉक्टर आनंद भारद्वाज की ओर से सभी अतिथियों व कवियो का शाॅल अलंकरण ओढ़ाकर व स्मृति उपहार भेंटकर स्वागत किया गया।
इसके उपरांत कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से स्वर्गीय श्रीमती नूतन भारद्वाज  को अपनी काव्यांजलि अर्पित की।गीतकार घनश्याम बादल ने बुद्ध के घर त्याग करने की व्यथा को बहुत ही मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत किया तो गीतकार पंकज गर्ग की ग़ज़ल, ” सबको मन की बात सुना/ जा तू भी पागल बन जा”  ने खूब तालियां बटोरी। पंकज त्यागी “असीम” की रचना ” मैं देखूॅं माॅं का जब बिस्तर मुझे माॅं याद आती है” को श्रोताओं ने काफी सराहा। वरिष्ठ कवि सुरेंद्र कुमार सैनी ने अपनी ग़ज़ल “बहुत मिलेंगे जो हमदर्दियाॅं  जताएंगे/ मगर वो तेरी तरह दिल कहाॅं से लाएंगे”  सुनाकर माहौल को भावुक बना दिया।  स्वर्गीय नूतन भारद्वाज की स्मृतियों को समर्पित डाॅ. श्रीगोपाल नारसन की रचना ‘मेरे भारत की बात निराली,प्रभु करते है इसकी रखवाली’ को भी काफी पसंद किया गया।
वरिष्ठ कवि नीरज नैथानी की रचना “चट्टाने बात करती हैं” को सदन का भरपूर समर्थन मिला। पौड़ी से पधारी डॉ ऋतु सिंह ने जब अपना गीत “निमंत्रण दे रही हूॅं मैं/ चले आओ पहाड़ों पर सुनाया तो सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मैनपुरी से आए गीतकार बलराम श्रीवास्तव ने एक से बढ़कर एक गीत सुनाए।
डॉ वंदना भारद्वाज ने जब अपनी रचना में अपनी स्वर्गीय माॅं को याद करते हुए माॅ़  की तुलना भगवान से की तो सभी श्रोता भाव विहल हो गए।
इस काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ कवि  कृष्ण सुकुमार, नरेश राजवंशी, डॉ. अनिल शर्मा ,श्रीमती माधुरी नैथानी, श्रीमती डॉक्टर शालिनी जोशी पंत, विनीत भारद्वाज ,अनिल अमरोहवी, सुबोध पुंडीर “सरित”, आदि ने अपना उत्कृष्ट काव्य पाठ प्रस्तुत किया।डॉक्टर आनंद भारद्वाज ने अपनी रचना “जब से तुम छोड़कर गए हो दिल नहीं लगता” बहुत ही भावुक अंदाज में सुना कर सभी को भावविभोर कर दिया।
अंत में सभा की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा अरुण ने अपनी भावांजलि स्वर्गीय श्रीमती नूतन भारद्वाज को अर्पित की ।
इस अवसर पर डा०दिनेश त्रिपाठी ,डा.अलका त्रिपाठी, इंजीनियर अभिषेक भारद्वाज,डा०अर्पित त्रिपाठी,नीतू भारद्वाज,श्रीमती पूनम शर्मा, अरविन्द भारद्वाज आदि  उपस्थित रहे।

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