नैनीताल। सूखाताल में अवैध निर्माण ध्वस्त करने के जिला विकास प्राधिकरण के ध्वस्तीकरण नोटिस पर हाईकोर्ट ने यह कहकर रोक लगाने से इंकार कर दिया है कि ये मामले सक्षम फोरम में विचाराधीन हैं।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ये याचिकाएं निस्तारित कर दी हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार, सूखाताल में अतिक्रमण का हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सूखाताल में हो रहे सौंदर्यीकरण के कार्यों पर रोक लगाते हुए सूखाताल से अवैध निर्माण व अतिक्रमण ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद पिछले साल जिला विकास प्राधिकरण ने 44 लोगों के मकान ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे, जिसके खिलाफ क्षेत्र के कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राधिकरण की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने उनकी याचिकाओं को निस्तारित करते हुए कहा कि उनकी अपीलें या तो अपीलीय न्यायालय में विचाराधीन हैं या फिर वे अपीलीय न्यायालय से खारिज हो चुकी हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश को सूखाताल के निवासियों के लिये झटका माना जा रहा है।