कुमार विश्वास ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अनपढ़ कहा,विवाद शुरू

उज्जैन।  महाकाल की नगरी उज्जैन में रामकथा करने पहुंचे कवि कुमार विश्वास ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अनपढ़ और वामपंथियों को कुपढ़ कह दिया जिससे विवाद शुरू हो गया। विवाद होने के बाद विश्वास ने इस मामले में माफी भी मांग ली है।

दरअसल कुमार विश्वास ने बजट पर बात करते-करते यह बात कह दी। उनकी बात सुनकर सभा में मौजूद लोग हंस दिए और तालियां बजाईं उसमे मध्य प्रदेश के मंत्री मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन सहित महापौर मुकेश टटवाल आदि भी मौजूद थे।

बयान पर विवाद बढ़ने के बाद कुमार विश्वास ने माफी मांगी। उन्होंने कहा कि आपकी इस सामान्य बुद्धि में अगर ये प्रसंग किसी और तरीके से चला गया है तो उसके लिए मुझे माफ करें। वीडियो जारी करते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि उज्जैन में राम कथा के दौरान मैंने एक बच्चे की बात शेयर की थी। जिसे लेकर कुछ लोगों को आपत्ति हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को दिक्कत हुई है तो मैं माफी मांगता हूं।

उज्जैन में विक्रमोत्सव कार्यक्रम के तहत 21 से 23 फरवरी तक रामकथा का आयोजन किया गया है। मंगलवार को कथा सुनाने पहुंचे कुमार विश्वास का वीडियो वायरल होने के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बुधवार रात को वे कड़ी सुरक्षा में कथा कार्यक्रम स्थल पहुंचे।

इसी बीच मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राजपाल सिसोदिया ने कहा- कथा करने आए हो कथा करो, प्रमाण पत्र मत बांटो श्रीमान। कांग्रेस की ओर से पार्टी के मीडिया विभाग के चेयरमैन केके मिश्रा ने भी इस मामले में ट्वीट करते हुए लिखा- फरर अनपढ़ है  कुमार विश्वास जी के इस कथन से मैं इत्तफाक नहीं रखता. जिस विवि के कुलाधिपति हिटलर- मुसोलिनी हों, अनुचर झूठ को आग की फैला देते हों, सुशिक्षितों को भी मूर्ख बना देते हों वह अनपढ़ कैसे? वैसे कथाकारों को धर्म के घोड़े पर सवार होकर राजनैतिक टिप्पणियां करना भी अनुचित है।

इस रामकथा में प्रसंग सुनाते हुए कुमार विश्वास ने कहा, आज से 4-5 साल पहले बजट आने वाला था। मैं अपने घर में स्टूडियो पर खड़ा था। कुछ रिकॉर्डिंग कर रहा था। वहां एक बच्चे ने मोबाइल ऑन कर दिया। वो बच्चा हमारे साथ काम करता है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी काम करता है। वो मुझसे बोला कि बजट आ रहा है, कैसा आना चाहिए। मैंने कहा- तुमने तो रामराज्य की सरकार बनाई है तो रामराज्य का बजट आना चाहिए। उसने कहा, रामराज्य में कहां बजट होता था।

मैंने कहा, समस्या तुम्हारी यही है कि वामपंथी तो कुपढ़ हैं और तुम अनपढ़ हो। इस देश में दो ही लोगों का झगड़ा चल रहा है। एक वामपंथी हैं, वो कुपढ़ हैं, उन्होंने पढ़ा सब है, लेकिन सब गलत पढ़ा है। और एक ये वाला है, इन्होंने पढ़ा ही नहीं है। ये सिर्फ बोलते हैं- हमारे वेदों में पर उन्होंने वेद देखे नहीं हैं कि कैसे हैं। भाई पढ़ भी लो। तो बोले रामराज्य में किस बात का बजट ?

कुमार ने कहा- भगवान ने चित्रकूट में भरत को रात में बैठकर समझाया। कहा कि- कैसे राज्य चलाते हैं। विशेष रूप से जो सबसे पुरानी राम कथाओं में है श्रीमद् भगवद्, वाल्मीकि रामायण के बाद आध्यात्म रामायण में इसका बड़ा अच्छा उल्लेख है, भगवान ने कहा राजा भरत से- बेटा टैक्स कैसे ले रहे हो, भरत ने कहा- हां, जैसे टैक्स लेते हैं। भगवान ने कहा- नहीं, हम सूर्यवंशी हैं। हमको टैक्स ऐसे लेना चाहिए, जैसे सूरज लेता है। भरत ने पूछा- भैया सूरज कैसे टैक्स लेता है।

सूरज समुद्र से पानी ले लेता है, समुद्र को पता नहीं चलता। नदी से पानी ले लेता है, नदी को पता नहीं चलता। गिलास से पानी ले लेता है, गिलास को पता नहीं चलता।अंजूरी में पानी लेकर जून के महीने में बाहर खड़े हो जाओ पांच मिनट में पानी खत्म हो जाता है। पानी कौन ले गया, सूरज। और इस पानी का क्या बनाता है, बादल। ये बादल इकट्ठा होकर कहां बरसते हैं, जहां पानी की आवश्यकता होती है। यानि कि राजा जब कर ले, टैक्स ले तो किसी को पता न चले कि टैक्स कट गया।

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