गीत हृदय की धड़कन के पुस्तक का हुआ विमोचन

रुड़की। नवसृजन साहित्यिक संस्था रुड़की के स्थापना दिवस पर संस्था के समन्वयक तथा वरिष्ठ साहित्यकार सुरेंद्र कुमार सैनी के गीत संग्रह गीत हृदय की धड़कन के का लोकार्पण एक होटल के सभागार में किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ द्वारा की गई।
मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज मौजूद रहे।  ग़ज़लकार पंकज त्यागी ‘असीम’ के संचालन में आयोजित इस पुस्तक विमोचन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार डॉ. सम्राट सुधा, डिवाइन मिरर हिंदी चैनल के प्रमुख व साहित्यकार डॉ. श्रीगोपाल नारसन, ग़ज़लकार  कृष्ण सुकुमार, पूर्व प्रधानाचार्य  सुबोध कुमार पुंडीर ‘सरित’ एवं स्कॉलर्स एकेडमी रुड़की के चेयरमैन श्याम सिंह नागयान विराजमान रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ । वरिष्ठ कवि  राम शंकर सिंह ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की तो नवसृजन संस्था का कुलगीत कवयित्री  श्रीमती अलका घनशाला द्वारा  प्रस्तुत किया गया।
संस्था के अध्यक्ष नीरज नैथानी  ने संस्था के उपलब्धियों के बारे में बताया कि किस प्रकार निर्धन परिवारों की आर्थिक सहायता की गई। संस्था द्वारा वर्ष 2021 में  काव्य संग्रह  “सृजन सरोवर”  प्रकाशित कराया गया । संस्था द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए  2023 का ‘सृजन शिल्पी’ सम्मान  ग़ज़लकार  के पी अनमोल को दिया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार  एसके सैनी के गीत संग्रह ‘गीत हृदय की धड़कन के’ , पुस्तक के  लोकार्पण से पूर्व संस्था अध्यक्ष  नीरज नैथानी ने पुस्तक रचयिता सुरेंद्र सैनी का परिचय प्रस्तुत किया।  डॉ. सम्राट सुधा ने कहा कि इस पुस्तक का नाम ‘गीत हृदय के’  भी हो सकता था लेकिन जब यह ‘गीत हृदय की धड़कन के’  होता है तो सूक्ष्म हो जाता है जिसे स्पंदनों की मृदुता और क्षणभंगुरता में गंभीरता से समझने की आवश्यकता है।
डॉ. श्रीगोपाल नारसन ने कहा कि प्रस्तुत काव्य संग्रह में सुरेंद्र सैनी ने तीन खंडों में काव्य की तीन प्रमुख विधाओं यथा गीत/ मुक्त छंद कविताएं/ दोहे को श्लाघनीय अभिव्यक्ति प्रदान की है। जो अपने आप मे अनुपम है। मुख्य अतिथि डॉ. आनंद भारद्वाज ने कहा कि पुस्तक की सभी कविताएं उत्कृष्ट और उम्दा हैं। सुलझी हुई हैं तथा सहज हैं।
वैचारिकता  और संवेदना इनकी कविताओं में स्पष्ट दृष्टिगोचर है। यह काव्य संग्रह निश्चय ही सबके लिए संग्रहणीय होगा।शायरी के जादूगर कृष्ण सुकुमार ने कहा कि जटिल मानवीय भावनाओं को सहजता एवं सरलता के साथ कविता में ढालने की कला में सुरेंद्र सैनी को दक्षता प्राप्त है।
सुबोध पुंडीर ‘सरित’ ने गीत संग्रह के संदर्भ में बताया कि यह गीत भावातिरेक में कवि के हृदय की वह सहज -सरल सरगमी धड़कनें  हैं जो सीधे पाठक के हृदय द्वार पर दस्तकें देती हैं। डॉ श्याम सिंह नागयान ने कहा कि  एस के सैनी  एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविताओं, गीतों व ग़ज़लों में श्रंगार का विरह पक्ष तथा व्यवस्था के प्रति उनके इंकलाबी तेवर समान रूप से देखने को मिलते हैं।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ ने कहा कि सुरेंद्र सैनी  की कविताओं व गीतों में सताए हुए और दुखी जन की भावाभिव्यक्तियाॅं  एवं संवेदनाएं प्रकट होती हैं जबकि कुछ रचनाएं निजी संवेदना व पीड़ा को भी अभिव्यक्त करती हैं।
उन्होंने अपना एक मधुर गीत सुनाकर सबको भावविभोर भी किया। धन्यवाद उदबोधन नवीन शरण ‘निश्चल’ ने किया।
इस अवसर पर पंकज गर्ग, डॉ घनश्याम बादल, डीके वर्मा, अनिल वर्मा अमरोहवी, सौ सिंह सैनी, ओमप्रकाश नूर, डॉ. अनिल शर्मा, डॉ. संजीव सैनी, श्रीमती रश्मि त्यागी, दीपिका सैनी, विकास त्यागी, शशांक सैनी, रघुवीर सिंह पंवार, प्रदीप सैनी एडवोकेट, माधुरी नैथानी,प्रतिभा नैथानी, ताराचंद एडवोकेट, चंद्रभान सिंह एडवोकेट, दिलीप प्रधान, एचपी काला, शाहिदा शेख, राजीव सैनी, श्रीमती कमलेश सैनी, सुशील सैनी तथा राजबहादुर आदि मौजूद रहे।

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