समाज कल्याण के सहायक निदेशक कांतिराम जोशी चार दिन से जेलमें , विभाग को हवा नहीं ! 

देहरादून। समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक कान्तिराम जोशी को मुख्यन्यायिक मजिस्ट्रेट टिहरी गढ़वाल द्वारा सरकारी धन के गबन के मामले में 10 तारीख को जेल भेज दिया गया था। टिहरी जेल में बंद कांतिराम जोशी के बारे में समाज कल्याण विभाग और शासन को हवा तक नहीं है।

इस बात की तस्दीक ऐसे की जा सकती है कि जहां जेल जाने अथवा गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर अंदर कर्मचारी को निलंबित कर दिया जाता है, वहीं 4 दिन गुजर जाने के बावजूद समाज कल्याण विभाग ने कांति राम को निलंबित तक नहीं किया है।

गौरतलब है कि इस मामले में कांति राम पहले अपनी पहुंच के दम पर पुलिस से एफआर लगाने में कामयाब हो गया था लेकिन कोर्ट ने एक झटके में एफआर को उड़ा दिया और जब कांति राम अपनी जमानत के लिए कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने सीधे उसे जेल भेज दिया।

 यह है पूरा मामला

उत्तराखण्ड शासन के आदेश के बाद वर्ष 2010 से 2013 में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी, टिहरी गढ़वाल कान्तिराम जोशी के विरुद्ध जनपद टिहरी में तैनाती के दौरान उनके द्वारा पेंशन शिविरों की धनराशि में किये गये गबन के सम्बन्ध में थाना कोतवाली टिहरी में मुकदमा सं0 20 / 2019 अन्तर्गत धारा 409 क.ढ.उ. दर्ज कराया गया था ।

विवेचक रमेश कुमार सैनी द्वारा अभियुक्त कांतिराम जोशी से मिलीभगत करके  31 दिसंबर 2019 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय टिहरी गढ़वाल में इस प्रकरण में अन्तिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट टिहरी द्वारा विवेचक द्वारा न्यायालय में दाखिल की गई अन्तिम रिपोर्ट को खारिज करते हुए अभियुक्त कान्तिराम जोशी के विरूद्ध क.ढ.उ. की धारा 409 में मुकदमा चलाने के आदेश दिये गये।  मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा थानाध्यक्ष कोतवाली के माध्यम से अभियुक्त कान्तिराम जोशी को क.ढ.उ. की धारा 409 के अन्तर्गत समन जारी करते हुए  30 जनवरी 2023 को न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश दिये गये।

और भी कई आपराधिक मामले लंबित

कांशीराम जोशी के विरुद्ध भ्रष्टाचार की फेरहिस्त  काफी लंबी चौड़ी है लेकिन अब तक यह अधिकारी अपने सियासी रसूख के बल पर खुद को बचाता रहा है। विजिलस द्वारा कांति राम जोशी के विरुद्ध सितंबर 2021 में सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार करके आय से अधिक संपत्ति बनाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया था किंतु अभी तक सतर्कता विभाग द्वारा इस मामले में कुछ भी   प्रगति नहीं की गई है।

इसी प्रकार आईटी सेल समाज कल्याण में तैनाती के दौरान भी इनके द्वारा फर्नीचर घोटाले को अंजाम दिया गया है। इसमें विभागीय जांच में इनको स्पष्ट रूप से दोषी करार दिया गया है , परंतु विभाग द्वारा अभी तक इस मामले में इनको कोई दंड नहीं दिया गया है। यह अपनी पहुंच के बल पर खुद को बचाते आ रहे थे। राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय जोशीमठ मे भी इनके द्वारा विद्यालय की सामग्री की खरीद में घोटाला किया गया है। इस मामले में जांच में इनको दोषी करार दिया गया था। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी इसके खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद विभाग ने इस कार्यवाही के आदेश को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया।

देहरादून जनपद में भी अनुसूचित जाति के कोटे की

दुकानों के आवंटन में इनके द्वारा घोटाला किया गया था। इसमें तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की गई थी। जिसके पश्चात शासन द्वारा इनके खिलाफ थाना डालनवाला में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए थे।

डालनवाला पुलिस ने भ्रष्टाचार की धाराओं में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था परंतु राजनीतिक रसूख के चलते पुलिस द्वारा यह उस मामले में क्लीन चिट लेने में सफल रहे वर्तमान में यह मामला न्यायालय में विचाराधीन चल रहा है। डालनवाला का यह प्रकरण भी टिहरी जिले में शासकीय योजना में धन के गबन के समान ही मामला है, जिस मामले में इनको न्यायालय द्वारा जेल भेजा गया है।राज्य बनने से लेकर अब तक यह लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। लेकिन विभाग में अपने वर्चस्व के चलते लगातार बचते भी आ रहे थे।

वर्ष 2001 में दुकानों के आवंटन से लेकर वर्ष 2007 में चमोली के आश्रम पद्धति विद्यालय में सामग्री खरीद घोटाला,  समाजकल्याण आई टी सेल में फर्नीचर घोटाले के बाद टिहरी में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत लगाए जाने वाले शिविरों के घोटाले मे भी तमाम जांच और मुकदमों  में दोषी पाए जाने के बावजूद यह अभी तक खुद को बचाते चले आ रहे थे।

समाज कल्याण विभाग के चर्चित छात्रवृति घोटाले मे भी कातिराम के विरूद्ध गंभीर आरोप हैं। तत्कालीन एसआईटी हेड आईजी संजय गुंजयाल ने भी इनके खिलाफ टिहरी मे तैनाती के दौरान छात्रवृत्ति घोटाले में जांच के आदेश दिए थे, लेकिन छात्रवृत्ति मामले में भी विवेचक यही रमेश सैनी थे जिन्होंने इनको वर्तमान मामले में क्लीन चिट दी थी। लिहाजा यदि इस प्रकरण की ठीक से जांच हो जाए और जांच अधिकारी बदल दिया जाए तो इनकी छात्रवृत्ति घोटाले में भी गंभीर संलिप्तता सामने आ सकती है।

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