इन दिनों सियासत की सुर्खियों में बना हुआ है लखनऊ। बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता ने लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुर और लक्ष्मणपुर करने की मांग की है।
जिसके बाद इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। जहां बीजेपी के कई नेता इस पर अपना समर्थन जता रहे हैं तो वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि ये बीजेपी की एक बार फिर से ध्यान भटकाने की साजिश है।
प्रतापगढ़ से बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता ने कहा कि मान्यता के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने इसे लक्ष्मण को भेंट किया था, जिसके बाद इसका नाम लखनपुर या लक्ष्मणपुर रखा गया, लेकिन 18वीं सदी में नवाब आसफुद्दौला ने उसका नाम बदलकर लखनऊ रख दिया था, लेकिन अब देश अमृतकाल में पहुंच गया है, तो गुलामी और विलासिता के प्रतीक लखनऊ का नाम बदला जाना चाहिए।
बीजेपी सांसद की इस मांग के बाद इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई कि क्या अब लखनऊ का भी नाम बदलने वाला है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बीजेपी सांसद की मांग का समर्थन करते हुए कहा, सर्वविदित है कि पहले लखनऊ लक्ष्मण नगरी थी। अब जैसी स्थिति। लखनऊ का एतिहासिक नाम लखनपुर हैं। वहीं सरकार का कहना है कि पत्रों पर गौर किया जाएगा।
एक तरफ जहां लखनऊ का नाम बदलने की बात हो रही थी तो सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरुण राजभर एक कदम आगे बढ़ गए और उन्होंने गाजीपुर जिले का नाम बदलकर विश्वामित्र नगर रखने की मांग रख दी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा नाम बदलने से कुछ नहीं होने वाला है। काम जरुरी हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग कुछ भी कर सकते हैं। हम सपा के लोग सभी भगवानों को मानते हैं। सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन सरकारों के पास अपना कुछ काम बताने को नहीं होता है वो नए-नए मुद्दे छेड़ते रहते हैं। लक्ष्मण जी से किसी को कोई विरोध नहीं है लेकिन यह अंतहीन प्रक्रिया है।
राजधानी लखनऊ का नाम बदलने की ये चर्चा नई नहीं है। इससे पहले पीएम मोदी के लखनऊ आने पर सीएम योगी के एक ट्वीट ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया था जब उन्होंने कहा कि भगवान लक्ष्मण जी की नगरी लखनऊ में आपका हार्दिक स्वागत है। अब देखना होगा कि नाम बदलने की सियासत में क्या अगला नंबर लखनऊ का है।