नई दिल्ली। अडाणी मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला तेज कर दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की चुप्पी से मिलीभगत की बू आती है। अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्चद्वारा गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद समूह के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है।
जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रोजाना तीन सवाल रखेगी। उन्होंने कहा, इस मुद्दे से कुछ ऐसे सवाल पैदा होते हैं, जिनसे आप (मोदी) और आपकी सरकार एचएएचके(हम अडाणी के हैं कौन) कहकर नहीं बच सकते।
उन्होंने एक बयान में सवाल किया कि अडाणी समूह के खिलाफ वर्षों से लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए क्या कार्रवाई की गई है और क्या प्रधानमंत्री मोदी के शासन में इस मामले में निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद है? कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से अपनी चुप्पी तोड़ने को कहा।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता के चंद्रशेखर राव ने अडाणी मामले में एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लिए विपक्षी दलों की मांग का समर्थन किया, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कहा कि भारत की छवि दांव पर है लेकिन सरकार इस मुद्दे को बहुत हल्के ढंग सेले रही है।
कांग्रेस ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के सभी कार्यालयों के बाहर राष्ट्रव्यापी जिला स्तरीय विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। रमेश ने आरोप लगाया कि अडाणी समूह पर लगे आरोपों के बीच मोदी नीत सरकार ने गहरी चुप्पी साध ली है, जिससे मिलीभगत की बू आती है।
रमेश ने सवाल उठाते हुए कहा कि पनामा पेपर और पेंडोरा पेपर में गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी का नाम बहामास और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में विदेशी संस्थाओं को संचालित करने वाले व्यक्ति के रूप में आया था। कांग्रेस नेता ने कहा, यह तथ्य कि आप जिस व्यावसायिक इकाई से भली-भांति परिचित हैं, वह गंभीर आरोपों का सामना कर रही है, यह आपकी जांच की गुणवत्ता और गंभीरता के बारे में क्या बयां करता है?
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ह्यह्ययह कैसे संभव है कि भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक, जिसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों के क्षेत्र में एकाधिकार बनाने की अनुमति दी गई है, लगातार आरोपों के बावजूद इतने लंबे समय तक गंभीर जांच से बच सकता है? उन्होंने आरोप लगाया कि इससे कमतर आरोपों के लिए अन्य व्यापारिक समूहों को परेशान किया गया और उन पर छापे मारे गए।
रमेश ने पूछा, ह्यह्यक्या अडाणी समूह उस शासन के लिए आवश्यक था, जिसने इतने वर्षों तक भ्रष्टाचार विरोधी बयानबाजी से लाभ हासिल किया है। अपने बयान को टैग करते हुए कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, अडाणी महामेगा घोटाले पर प्रधानमंत्री की गहरी चुप्पी ने हमें एचएएचके (हम अडाणी के हैं कौन) की एक श्रृंखला शुरू करने के लिए मजबूर किया है।