कृषि ऋण राशि बढ़ी, बागवानी, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

नयी दिल्ली। सरकार ने किसानों के हितों पर जोर देते हुए कृषि ऋण का लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपये तक करने की, बागवानी फसलों के लिए गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री उपलब्ध कराने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने तथा सहकारिता के माध्यम से इस क्षेत्र के विकास के लिए कई नयी योजनाओं की शुरुआत करने की घोषणा की है।

वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने बुधवार को संसद में वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए किसानों की सहायता के लिए कई योजनाओं का एलान किया। उन्होंने कहा कि कृषि ऋण के लक्ष्­य को पशुपालन, डेयरी तथा मत्­स्­यपालन पर ध्­यान केन्द्रित करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा। उन्­होंने बताया कि सरकार 6,000 करोड़ रुपये के लक्षित निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्­स्­य संपदा योजना की एक नयी उप-योजना शुरू करेगी।

इसका उद्देश्­य मछुआरे और मछली विक्रेताओं की गतिविधियों को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही सूक्ष्­म तथा लघु उद्यमों, मूल्­य श्रृंखला की क्षमताओं में सुधार लाना और मछली बाजार का विस्­तार करना है। किसानों, विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए तथा अन्­य वंचित वर्गों के लिए सरकार सहकारिता आधारित आ­र्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा दे रही है।

‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने के उद्देश्­य से एक नया सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है। इस विजन को साकार करने के लिए सरकार ने पहले ही 2,516 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 63,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पीएसीएस) के कम्­प्­यूटरीकरण का कार्य शुरू किया है।

सभी हितधारकों एवं राज्­यों के साथ परामर्श करके पीएसीएस के लिए मॉडल उप-नियम तैयार किए गए थे, ताकि वे बहुद्देशीय पीएसीएस बन सकें। सहकारी समितियों के देशव्­यापी मानचित्रण के लिए एक राष्­ट्रीय सहकारी डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि सरकार व्­यापक विकेन्­द्रीकृत भंडारण क्षमता बनाने के लिए एक योजना लागू करेगी।

इससे किसानों को अपनी उपज का भंडारण करने और उचित समय पर उसकी बिक्री करके लाभकारी मूल्­य प्राप्­त करने में सहायता मिलेगी। सरकार अगले पांच वर्षों में शेष रह गई पंचायतों और गांवों में बड़ी संख्­या में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्­स्­य समितियों और डेयरी सहकारी समितियों की स्­थापना करने के लिए सुविधा प्रदान करेगी।

सरकार अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए सहायता देगी। प्राकृतिक खेती के लिए अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को सहायता देने का प्रस्ताव किया। उन्­होंने कहा कि इसके लिए राष्­ट्रीय स्­तर पर 10,000 बायो-इनपुट रिसोर्स केन्­द्र स्­थापित किए जाएंगे। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि गोबरधन (गैल्­वनाइजिंग आर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सिज धन) योजना के तहत 500 नए ‘अवशिष्­ट से आमदनी’ संयंत्रों को चक्रीय अर्थव्­यवस्­था को बढ़ावा देने के उद्देश्­य से स्­थापित किया जाएगा। इनमें 200 कंप्रेस्­ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र शामिल होंगे, जिनमें शहरी क्षेत्रों में 75 तथा 300 समुदाय या कलस्­टर आधारित संयंत्र हैं जिन पर कुल लागत 10,000 करोड़ रुपये होगी।

वित्­त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि प्राकृतिक और बायोगैस का विपणन कर रहे सभी संगठनों के लिए पांच प्रतिशत का सीबीजी अधिदेश यथासमय लाया जाएगा। उन्­होंने कहा, ‘‘ बायो-मास के संग्रहण और जैव-खाद के वितरण के लिए उपयुक्­त राजको­षीय सहायता प्रदान की जाएगी।

 ‘पृथ्­वी माता के पुनर्रुद्धार, इसके प्रति जागरुकता, पोषण और सुधार के लिए प्रधानमंत्री कार्यक्रम’ राज्यों को रासायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग तथा इनके स्­थान पर वैकल्पिक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्­साहित करने के लिए शुरू किया जाएगा।

सरकार किसानों को उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों के लिए गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्­धता बढ़ाने के लिए 2200 करोड़ रुपये की लागत से ‘आत्­मनिर्भर स्­वच्­छ पौध कार्यक्रम’ शुरू करेगी। उच्­च मूल्­य वाली बागवानी फसलों के लिए रोग मुक्­त गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री की उपलब्­धता बढ़ाने के उद्देश्­य से 2200 करोड़ रुपये के परिव्­यय के साथ एक आत्­मनिर्भर स्­वच्­छ पौध कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में युवा उद्यमियों के कृषि-स्­टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक कृषि त्­वरक कोष बनाया जाएगा। इस कोष के जरिए किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव एवं किफायती समाधान पेश किए जाएंगे, और इसके साथ ही यह कोष खेती-बाड़ी करने के तौर-तरीकों में व्­यापक बदलाव लाने, और उत्­पादकता एवं लाभप्रदता बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियां भी पेश करेगा।

वित्­त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सहकारिता क्षेत्र में गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की। उन्होंने प्रधानमंत्री के लक्ष्­य ‘सहकार से समृद्धि’ और ‘अमृतकाल की भावना के साथ सहकार की भावना’ को जोड़ने के उनके संकल्­प का उल्­लेख किया। वित्­त मंत्री ने कहा कि 31.03.2024 तक जो नयी सहकारी समितियां उत्­पादन गतिविधियां शुरू करेंगी, उन्­हें 15 प्रतिशत की कम कर दर का लाभ मिलेगा। उन्­होंने कहा कि आकलन वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्­ना किसानों को किए गए भुगतान का दावा करने के लिए गन्­ना सहकारिता समितियों को एक अवसर उपलब्­ध कराया जाएगा, इससे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की राहत मिलने की उम्­मीद है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और प्राथमिकता सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक में सदस्­यों को नकद जमा करने और नकद उधार लेने की उच्­च सीमा प्रति सदस्­य दो लाख रुपये है। उन्­होंने कहा कि सहकारी समितियों को नकद निकासी पर टीडीएस के लिए तीन करोड़ रुपये की उच्­च सीमा उपलब्­ध कराई जा रही है। ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने और किसान एवं उपेक्षित वर्गों के लिए सहकारिता आधारित विकास मॉडल को बढ़ावा देने के लिए एक नया सहकारिता मंत्रालय बनाया गया है।

उन्­होंने कहा कि इस विजन को साकार करने के लिए सरकार ने 25,16 करोड़ रुपये से 63,000 प्राथमिक कृषि साख समितियों का कम्­प्­यूटरीकरण करने का काम शुरू कर दिया है। उन्­होंने बताया कि सहकारिता समितियों की देशभर में मैपिंग के लिए एक राष्­ट्रीय सहकारिता डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। वित्­त मंत्री ने कहा कि विकेन्­द्रीकृत भंडारण क्षमता की स्­थापना की जाएगी, जिससे किसानों को अपनी उपज का भंडारण करने और सही समय पर उसकी बिक्री के जरिए आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

उन्­होंने कहा कि सरकार, अगले पांच वर्षों में शेष रह गई पंचायतों और गांवों में बड़ी संख्­या में बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, प्राथमिक मत्­स्­य समितियों और दुग्­ध सहकारी समितियों का गठन करने में मदद करेगी।

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