लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था,महिला सुरक्षा के अलावा सरकारी योजनाओं की क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत को परखने के लिये मंत्रियों को जिलों का प्रभारी नियुक्त किया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार गठन के उपरांत मंत्रिसमूहों द्वारा ‘सरकार आपके द्वार’ भावना के साथ किए गए मंडलीय भ्रमण से जनता के बीच सकारात्मक संदेश गया।
अब सभी जिलों के लिए प्रभारी मंत्री नामित किए जा रहे हैं। यह मंत्री अगले एक वर्ष तक सम्बंधित जिलों के प्रभारी होंगे। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये हैं कि प्रभारी मंत्री अपने जिले की स्थिति से अपडेट रहें। नियमित अंतराल पर जिले में भ्रमण करें। जिला भ्रमण के यह कार्यक्रम कम से कम 24 घंटे का जरूर हो। जिले के दौरे की अवधि में होने वाली बैठकों में जनप्रतिनिधियों को भी शामिल करें।
कानून-व्यवस्था व सरकारी योजनाओं की समीक्षा करें। उन्होने कहा कि प्रभारी मंत्रियों से जिला भ्रमण के दौरान जनता से सीधा संवाद करने को कहा गया है। किसी एक विकास खंड और तहसील के औचक निरीक्षण करें। दलित, मलिन बस्ती में सहभोज भी किया जाना चाहिए। विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर गुणवत्ता की परख करें।
कानून-व्यवस्था की समीक्षा के साथ महिला सुरक्षा, एससी-एसटी के प्रकरणों में अभियोजन की स्थिति, पुलिस पेट्रोलिंग, बाल यौन अपराधों, व्यापरियों की समस्याओं, गैंगस्टर पर कार्रवाई, ट्रैफिक प्रबंधन, राजस्व संग्रह के लिए हो रहे प्रयास आदि की समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभार के जिलों में यदि आकांक्षात्मक विकास खंड है तो वहां की स्थिति की सतत समीक्षा करते रहें।
भ्रमण के दौरान इन विकास खंड में तैनात मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना के तहत कार्य कर रहे युवाओं से संवाद करें। कार्य की सफलता के लिए उसकी मॉनीटरिंग आवश्यक है। सभी मंत्री अपने विभाग की साप्ताहिक समीक्षा जरूर करें। अपने सहयोगी राज्य मंत्री को भी इन बैठक में आमंत्रित करें। विभाग द्वारा संचालित जनहित की परियोजनाओं के क्रियान्वयन में राज्यमंत्री गणों को भी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
यह सुनिश्चित कराएं कि सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर/कप्तान, मुख्य विकास अधिकारी आदि फील्ड में तैनात सभी अधिकारी नियमित अंतराल पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ विकास परियोजनाओं की समीक्षा करें। जिला मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक भी हो। उद्योग बंधु की बैठक भी नियमित होनी चाहिए। प्रत्येक जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान, व्यापार व उद्योग विभाग द्वारा माह में एक बार व्यापारिक संगठनों के साथ अनिवार्य रूप से बैठक की जाए।