नयी दिल्ली। जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बीबीसी की गुजरात दंगों से संबंधित डॉक्यूमेंट्री का वीडियो शो बिना इजाजत आयोजित किए जाने के विरोध में पथराव की शिकायत करते हुए छात्रों के एक दल ने विरोध प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो क्लीपिंग में कुछ छात्र पथराव के लिए एबीवीपी को दोषी ठहरा रहे थे।
जेएनयू छात्र संघ ने सोमवार को कहा था कि वे इंडिया द मोदी क्वेचन की मंगलवार शाम को स्क्रीनिंग आयोजित करेंगे जबकि सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को भारत में प्रतिबंधित कर दिया है। विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के एक समूह ने आरोप लगाया कि उन्हें मोबाइल पर यह डॉक्यूमेंट्री को देखने से रोकने के लिए पथराव किया गया।
उनका यह भी आरोप था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्क्रीनिंग रोकने के लिए बिजली काट दी थी। उनका यह भी आरोप था कि पथराव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का हाथ है। एबीवीपी ने दिल्ली में ट्विटर पर कहा कि जेएनयू में वामपंथी अराजकता के कारण शर्मनाक स्थिति बन रही है। देश जब गणतंत्र दिवस की तैयारी में हो तो वामपंथी प्रोपेगंडा फैलाने की पूरी कोशिश कर रहे है।
एक अन्य टिव्ट में एबीवीपी जेएनयू ने कहा कि वामपंथियों का यही फसाना है बस्ती भी जलाना है और मातम भी मनाना है। लेखिका चित्रा विजेयन ने एक ट्व्टि में कहा कि जेएनयू परिसर में प्रधानमंत्री की आलोचना करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग से पहले बिजली काट दी गई है। जेएनयू प्रशासन ने छात्र यूनियन के कार्यालय का इंटरनेट भी काट दिया। दिल्ली पुलिस के डीसीपी (दक्षिण पश्चिम जिला) मनोज सी ने कहा कि पुलिस को विश्वविद्यालय परिसर में पथराव की कोई सूचना नहीं मिली है।