नयी दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पूरे देश में सवाल उठ रहा है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार की चलनी चाहिए या एक व्यक्ति विशेष की चलनी चाहिए। समय बहुत बलवान होता है। कोई भी चीज स्थायी नहीं होती है। बहुत सरकारें आईं और चली गईं। हो सकता है कि केंद्र में हमारी सरकार हो। दिल्ली में उपराज्यपाल हमारा हो। उस दौरान दिल्ली में भाजपा या कांग्रेस की सरकार हो सकती है, लेकिन हमारा उपराज्यपाल ऐसे काम नहीं करेगा। हम चुनी हुई सरकार की इज्जत करते है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से शिक्षकों को विदेश भेजना चाहते हैं। जब हमारे शिक्षा मंत्री ने कह दिया तो हम भेज देंगे, लेकिन उपराज्यपाल ने दो बार आपत्ति लगा दी। गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से क्यों रोका जा रहा है। भाजपा और दूसरे पार्टी के नेता के बच्चे विदेश जाकर अच्छी शिक्षा लेते हैं। कोई इसका विरोध नहीं करता। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के कार्यों में अड़ंगा लगा रहे हैं, जबकि उनका कोई अधिकार नहीं है। हम तय करेंगे कि हमारे बच्चे कहां पढ़ेंगे। उपराज्यपाल के पास पावर नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा है कि तीन मुद्दों के अलावा उनके पास पावर नही हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि उपराज्यपाल व्यक्तिगत तौर पर कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है। वह सेवा, कानून व्यवस्था और पुलिस से संबंधित मामलों में निर्णय ले सकते हैं। उपराज्यपाल उच्चतम न्यायालय के आदेश को नहीं मान रहे हैं और वह लगातार दिल्ली सरकार के काम में अड़ंगा लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उपराज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री और मंत्रियों की अनदेखी करके सीधे मुख्य सचिव को आदेश दिए जा रहे हैं।
वह शीर्ष अदालत के आदेश को नहीं मानते। निगम चुनाव में भाजपा की हार के बाद दिल्ली सरकार के बिजली-पानी, सड़क, नाली आदि से जुड़े हुए सारे काम बंद करा दिए। सबकी पेमेंट रोक दी। उपराज्यपाल न तो संविधान को मानने को तैयार हैं और ना शीर्ष अदालत के आदेश को मानने को तैयार हैं। मैंने योगा बंद कराने के बारे में भी पूछा। निगम चुनाव के दो महीने पहले से सारे डॉक्टरों का वेतन, मोहल्ला क्लीनिक के रेंट और मोहल्ला क्लीनिक के बिजली के बिल की पेमेंट बंद करा दी।
सारे टेस्ट बंद करा दिए और दिल्ली जल बोर्ड की सारी पेमेंट रोक दी। बड़ी मजेदार बात यह है कि सात दिसंबर को एमसीडी को नतीजे आए और आठ दिसंबर को मोहल्ला क्लीनिक की सारी पेमेंट रोक दी गई। इसका मतलब है कि नीयत खराब थी। जल बोर्ड के वाटर तथा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बन रहे थे, उसका निर्माण कार्य रूक गया।
इससे पहले, आम आदमी पार्टी (आप) विधायक आतिशी ने सदन में फिनलैंड में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए न भेजने के खिलाफ ध्यानाकर्षण प्रस्ताव रखा। इसके बाद आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने इस पर एक प्रस्ताव रखा। उन्होंने संकल्प पढ़ते हुए हुए कहा, कि यह सदन उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजे जाने से रोके जाने के, उनके कदम की कड़ी निंदा करता है।
दिल्ली के लोगों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी आदि विषयों पर काम करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में एक लोकप्रिय सरकार चुनी है। अगर दिल्ली के लोगों की पूर्ण बहुमत से चुनी हुई सरकार दिल्ली के सरकारी स्कूल के शिक्षकों को विश्व स्तरीय ट्रेनिंग दिलाना चाहती है और इसके लिए इस विधानसभा में बजट भी पास किया हुआ है, तो ऐसे में उपराज्यपाल के पास संविधान के अंतर्गत ऐसा कोई अधिकार नहीं बनता कि वह सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड ना जाने दें।