बिजली दरें बढ़ाने का खेल न खेलें बिजली कंपनियां: अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार नये साल में बिजली की दरें करीब 23 फीसदी बढ़ने जा रही है। सबसे ज्यादा घरेलू उपभोक्ताओं पर भार पड़ेगा। पहले ही जनता बिजली की अव्यवस्थाओं को लेकर परेशान है, बिजली न आना और बिल ज्यादा आने से जनता जूझ रही है।

उन्होंने कहा कि एक बार फिर राज्य सरकार बिजली का बिल बढ़ाने का प्रस्ताव ला करके किसानों, गरीबों, व्यापारियों सब पर बोझ डाल रही है। भाजपा सरकार बिजली का बिल बढ़ाकर अब अन्य तमाम आवश्यक चीजों पर मंहगाई बढ़ाने का फिर कुचक्र रच रही है। भाजपा का यह कदम जनविरोधी है। सरकार लोक कल्याण के लिए होती हैं, लेकिन भाजपा सरकार की नीति जनता को तबाह करने की है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली देने का वादा किया था, लेकिन भाजपा के अन्य वादों की तरह किसानों की बिजली मुफ्त करने का वादा भी झूठा और जुमला साबित हुआ है। आम जनता पहले से ही खाद्य पदार्थों, खाद्यान्नों तेल, दाल की महंगाई से परेशान है। शिक्षा और बच्चों की फीस की मंहगाई से अभिभावक दबाव में है, ऐसे में बिजली की दरें बढ़ने से आम जनता और किसानों की कमर टूटनी तय है।

उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में जबसे भाजपा सरकार आयी है उसने एक भी यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं बढ़ाया है। आज राज्य में जो भी बिजली का उत्पादन हो रहा है वह समाजवादी पार्टी की सरकार में स्थापित कराये गये बिजली संयंत्रा द्वारा हो रहा है। उसमें भी सभी संयंत्र शुरू नहीं हो सके हैं। भाजपा सरकार ने छह वर्ष हो गए बिजली के उत्पादन, पारेषण और वितरण के क्षेत्र में कोई काम नहीं किया है और अब बिजली की दरें बढ़ाकर जनता की कमर तोड़ने का काम कर रही है।

यादव ने कहा कि भाजपा सरकार राजस्व के नाम पर जनता की जेब पर डकैती डालना बंद करे। राज्य सरकार की विनाशक नीतियों ने अर्थव्यवस्था और रोजगार को खत्म कर दिये हैं, व्यापार ठप है और लोगों की घरेलू अर्थव्यवस्था चौपट होती जा रही है। भाजपा की नीति-रीति से परेशान जनता अब उससे मुक्ति पाने के लिए छटपटा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा सरकार के बिजली की दरें बढ़ाने के इस प्रस्ताव के खिलाफ है और मांग करती है कि इसे वापस लिया जाए।

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