सुशील उपाध्याय ।
आज विभिन्न हिंदी मीडिया माध्यमों ने पाकिस्तान में महंगाई की खबर (स्टोरी) को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। इस खबर को लाहौर डेटलाइन के साथ एजेंसियों ने जारी किया है। हिंदुस्तान अखबार ने इसे अपनी बॉटम स्टोरी लगाया है।
इस खबर को पढ़ने से जो पहला ख्याल दिमाग में आता है वो यह कि पाकिस्तान के हालात बहुत खराब हैं और दूसरा ख्याल, जो स्वाभाविक तौर पर किसी भी व्यक्ति के जेहन में पैदा होगा, वो यह कि भारत में स्थितियां बहुत बेहतर है। वस्तुतः यह खबर हाई लेवल के एजेंडा सेटिंग का बढ़िया उदाहरण है।
ये स्टोरी यह तो बताती है कि पाकिस्तान में कितनी महंगाई है, लेकिन इस बात को प्रमुखता से नहीं बताती कि भारत के एक रुपए की तुलना में पाकिस्तान के पौने तीन रुपए मिलते हैं। दोनों देशों की करेंसी के इस अंतर के संदर्भ में ही विभिन्न चीजों के दामों को देखा जाना चाहिए।
अन्यथा की स्थिति में कोई भी सामान्य पाठक दोनों मुद्राओं को एक समान मानते हुए यह निष्कर्ष निकालेगा कि पड़ोसी देश में स्थितियां बदतर हैं और भारत में केंद्र एवं राज्य सरकारों ने सारी चीजों को बहुत अच्छे से संभाला हुआ है।
जबकि ऐसा नहीं है। महंगाई की मार पूरे दक्षिण एशिया में साफ-साफ दिखाई देती है। हां, यह जरूर है कि कुछ चीजों के दाम भारत में काफी कम हैं, लेकिन कुछ के दाम पाकिस्तान में कम है। उदाहरण के लिए सूखे मेवे और दालें।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल के दाम क्रमशः 215 और ₹228 लीटर हैं। अब करेंसी की विनिमय दर की दृष्टि से देखें तो पाकिस्तान में 91 भारतीय रुपए में 1 लीटर पेट्रोल और 95 भारतीय रुपए में 1 लीटर डीजल मिलेगा।
इससे साफ है कि दोनों देशों में पेट्रोल, डीजल की दरों में कोई असामान्य अंतर नहीं है। इसी तरह से पाकिस्तान में दूध के दाम ₹190 लीटर हैं। यदि इसे भारतीय रुपए में खरीदें तो यह ₹68 में एक लीटर मिलेगा। अब इसकी तुलना भारत में अमूल, मदर डेयरी, नंदिनी डेयरी या आंचल डेरी की दरों से करेंगे तो बहुत बड़ा अंतर दिखाई नहीं देगा। पाकिस्तान में ज्यादातर दालों के दाम 250 से 300 पाकिस्तानी रुपए प्रति किलो हैं।
यदि इन दालों को भारतीय रूपयों में खरीदें तो यह 90 से ₹110 किलो की बीच मिल जायेंगी। इस आंकड़े से साफ है कि पाकिस्तान की तुलना में भारत में दालों के दाम महंगे हैं।
पाकिस्तान में आटे का दाम जरूर महंगा है, लेकिन वह इतना महंगा नहीं है कि उसे 130 से 135 रुपए के बीच में देखा जाए। वास्तव में पाकिस्तानी करेंसी वाले दामों को लिखने से जो मैसेज कम्यूनिकेट हो रहा है, वो इसे भारतीय रुपयों में बदलने पर पैदा नहीं हो रहा है। यदि भारतीय रुपयों की दृष्टि से देखेंगे तब यह स्टोरी कोई बड़ा मामला रह ही नहीं जाएगी। भारत में अच्छी कंपनियों के आटे के दाम 40 से ₹45 किलो तक हैं, जबकि पाकिस्तान में 50 भारतीय रुपयों में एक किलो आटा मिल जाएगा।
इस टिप्पणी का उद्देश्य यह साबित करना नहीं है कि पाकिस्तान में हालात बहुत अच्छे हैं और भारत में स्थितियां खराब हैं। इसका मूल उद्देश्य यह है कि स्टोरी के माध्यम से जो कुछ संप्रेषित किया जा रहा है, उसके पीछे एक खास तरह का उद्देश्य निहित है। और यह उद्देश्य सत्ता में मौजूद हर एक पार्टी के अनुकूल है।
आपको याद होगा कि बीते साल जब श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता थी, तब वहां की महंगाई के बारे में भी मीडिया में लगभग इसी तरह की खबरें दिखाई दे रही थीं। उन खबरों में भी दोनों देशों की करेंसी की विनिमय दरों का उल्लेख प्रायः नहीं किया जा रहा था।
उन खबरों से भी भारत में सत्ताधारी पार्टियों और पार्टी के समर्थकों को अपने विरोधियों को काउंटर करने के लिए एक अच्छा टूल हासिल हो रहा था।
जो लोग अर्थशास्त्र की बारीकियों और मीडिया द्वारा किए जाने वाले एजेंडा सेटिंग को सामान्य तौर पर नहीं जानते, वे इस स्टोरी से यही अर्थ ग्रहण करेंगे कि उनकी अपनी स्थितियां बहुत ही सुकून भरी हैं, जबकि ऐसा नहीं है। इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में गैस सिलेंडर ₹10 हजार में मिल रहा है, लेकिन रिपोर्ट इस बात का उल्लेख नहीं करती कि यह दरें ब्लैक मार्केट की हैं।
सरकारी दरें इसकी तुलना में आधी से भी कम हैं। अब उन्हें भारतीय करेंसी के हिसाब से देखिए तो लगभग 1700 रुपए में गैस सिलेंडर मिल जाएगा। यकीनन यह भारत की तुलना में महंगा है, लेकिन इतना महंगा नहीं है कि इसे 10 हजार के आंकड़े को सामने रखकर समझा जाए।
वैसे जो लोग मीट के शौकीन हैं तो शायद उन्हें यह बात अच्छी लगेगी कि भारत के 200 रूपयों में पाकिस्तान में एक किलो चिकन मिल जाएगा और जो लोग देसी घी पसंद करते हैं उन्हें पाकिस्तान में देसी घी ₹2000 किलो होने का आंकड़ा भी डरा देगा, लेकिन जब इसे भारतीय रुपयों में खरीदने जाएंगे तो यह ₹700 में मिल जाएगा। ये सच है कि पाकिस्तान में बीते कुछ महीनों से सब्जियों के दाम काफी महंगे हैं। उसकी वजह पाकिस्तानी पंजाब और सिंध के ज्यादातर हिस्सों का बारिश में डूब जाना रही है।
दूसरी वजह पाकिस्तान की ये जिद है कि वह भारत से इन चीजों को आयात करने की बजाय दूसरे देशों से महंगी दरों पर इन्हें आयात करेगा।
कुल मिलाकर इस स्टोरी के संदर्भ और तुलना के तरीके इतने संदिग्ध हैं कि कोई भी सामान्य पाठक इससे वही अर्थ ग्रहण करेगा जो कि मीडिया माध्यमों द्वारा निर्धारित किया गया है। चिंता की बात यह है कि ये अर्थ वास्तविक अर्थ नहीं है। ये साफ तौर पर ‘पोषित और प्रेरित’ खबर का मामला है। इसे एक उदाहरण के तौर पर मीडिया स्टूडेंट्स को पढ़ाया जाना चाहिए।
यदि मीडिया के विश्लेषण का ये तरीका सही है तो फिर भारत के आंकड़ों की अमेरिका से तुलना करके देख लीजिए तो लगेगा कि वहां स्थितियां ज्यादा डरावनी हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका में एक किलो आटे की कीमत ₹150 से अधिक है। भारतीय घरों में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य श्रेणी के चावल की दरें 200 से 250 रुपए किलो के बीच हैं।
दूध का दाम तो और भी भय पैदा करने वाला है। मदर डेयरी और अमूल जिस दूध को भारत में ₹63 किलो बेच रही हैं, उसी स्तर का दूध अमेरिका में ₹165 किलो बिक रहा है। ब्रेड के दाम भी भारत की तुलना में तीन गुना महंगे हैं। तो क्या इन आंकड़ों को सामने रखकर यह मान लिया जाए कि अमेरिका में स्थितियां नियंत्रण के बाहर हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है क्योंकि इन दरों को उनकी करेंसी को सामने रखकर ही देखना होगा।
डॉलर की क्रय-क्षमता के सामने ये दरें सामान्य हैं। सार रूप में कहा जा सकता है कि हमारे मीडिया, खासतौर से हिंदी मीडिया को पाकिस्तानी महंगाई की नहीं, बल्कि भारतीय महंगाई की चिंता करनी चाहिए।वैसे, महंगाई का मामला किसी खास पार्टी की सरकार से जुड़ा हुआ नहीं है। महंगाई की स्थितियां पूरे देश में लगभग एक जैसी हैं, जो कि डरावनी हैं। इसलिए फिलहाल पाकिस्तानी महंगाई में राहत ढूंढने से बचिए।