अहंकार छोड़ जोशीमठ की सुध लें सीएम:यशपाल
समिति के पदाधिकारी और विधायक राजेंद्र भंडारी के साथ सीएम के व्यवहार पर दिखाई आंख
हल्द्वानी । नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने दावा किया है कि जोशीमठ भू धसाव की घटना को राज्य सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि यह इलाका उत्तराखंड के धार्मिक-सांस्कृतिक-पर्यटन के साथ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
यहां मकान, होटल, सरकारी प्रतिष्ठानों में आ रही दरारों ने पूरे राज्य की चिंता को बढ़ा दिया है। उन्होंने सीएम को प्रचंड बहुमत का अंहकार छोडक़र राजधर्म का पालन करते हुए पीडि़तों के लिए सर्वमान्य फैसला करने को कहा है।
बृहस्पतिवार को यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि इस मामले को रज्य सरकर ने गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर स्थानीय विधायक राजेन्द्र भंडारी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री से वार्ता करने गए प्रतिनिधिमंडल से राज्य के मुख्यमंत्री का बेरुखा व्यवहार समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से जोशीमठ और उसके आसपास के इलाकों में भूस्खलन और भू- धसाव होने से सैकड़ो घरों में दरारें आ गयी हैं और हजारों लोग इन घटनाओं से प्रभावित हैं। स्थानीय लोगों, राजनीतिक दलों और दुनिया भर के मीडिया ने इस सवाल को समय-समय पर उठाया है परन्तु राज्य सरकार ने जोशीमठ को बचाने के लिए किसी सार्थक प्रयास की शुरुआत नहीं की है।
उन्होंने कहा मकान और खेतों में दरार आने के बाद अब हाईटेंशन लाइन के खंभे भी तिरछे हो गए हैं। विश्व प्रसिद्ध औली रोपवे के विशाल पोल भी तिरछे हो रहे हैं। इससे आसपास के घरों को खतरा पैदा हो गया है।
अपने उद्यानों के लिए प्रसिद्ध जोशीमठ के बगीचे में लगाए माल्टे व सेब के पेड़ दरार गहरी होने के कारण गिरने शुरू हो गए हैं। अपने आशियाने को टुकड़े -टुकड़े होता देखते हुए जोशीमठ निवासी ढहते मकानों को छोड़कर सड़कों के किनारे अलाव के सहारे रातें काट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जोशीमठ नगर में करीब दो हजार मकान हैं। सरकार द्वारा करवाये गए प्रारंभिक सर्वे के अनुसार भू-धंसाव से 589 मकानों में दरारें आ चुकी हैं। उसके बावजूद सरकार और स्थानीय प्रशासन का यह उपेक्षापूर्ण बर्ताव आश्चर्यजनक है।
उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय लोग 2 से 25 हजार की आबादी वाले जोशीमठ की बरबादी के लिए अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास को जिम्मेदार मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है दूसरी तरफ बाईपास सड़क निर्माण शुरू कर जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर को नीचे से हिला रही है।
उन्होंने बताया कि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार द्वारा क्षेत्र के लोगों की उपेक्षा का आरोप लगाया है।
समिति के पदाधिकारियों के अनुसार जब वे लोग देहरादून में सीएम से मिले थे तो क्षेत्रीय विधायक राजेंद्र भंडारी भी उनके साथ थे। सीएम ने एक मिनट से भी कम समय में उनकी आधी-अधूरी बात सुनकर मुख्य सचिव से बात करने को कहा।
उन्होंने कहा कि प्रचंड बहुमत के अहंकार में सरकार अपने लोकतांत्रिक दायित्वों को भूल गयी है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को राजधर्म का निर्वहन कर जोशीमठ को उजड़ने से बचाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर पीड़ितों का तुरंत विस्थापन करने को कहा है।