ऋषिकेश । ऋषिकेश अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की आपात चिकित्सा वार्ड (इमरजेंसी) में रोगियों को रिसीव व भर्ती करने में अब और आसानी होगी। नई सुविधा से मरीज के इलाज में विलम्ब नहीं होगा और उसे तत्काल इलाज की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए मंगलवार को ‘पेशेंट रिसिविंग बे’ सुविधा शुरू की गई। साथ ही, वार्ड की क्षमता भी बढाकर 40 बेड कर दी गई है।
आपात स्थिति के मरीजों के इलाज में समय की महत्ता को देखते हुए स्थानीय एम्स ने इमरजेंसी की व्यवस्थाओं में बदलाव कर, मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ा दी हैं। सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होने से जहां इमरजेंसी गेट तक पहुंचने वाले मरीज का अब बिना समय गंवाए तत्काल इलाज शुरू किया जा सकेगा, वहीं इमरजेंसी विभाग में एक ही समय में अब एक साथ 40 मरीजों का परीक्षण एवं उपचार किया जा सकेगा।
इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने विस्तारीकरण के तहत इमरजेंसी के ‘पेशेंट रिसिविग बे’ का इलाज कराने आए मरीज से रिबन कटवाकर शुभारंभ कराया। उन्होंने इस सुविधा को गंभीर मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था से पेशेंट को अस्पताल की इमरजेंसी में रिसीव करने और उसे ट्रॉयज करने में आसानी होगी।
साथ ही बहुत ही कम समय में आपात स्थिति के मरीज का तत्काल इलाज शुरू किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी का नया एरिया पूर्ण तौर से सीसीटीवी की निगरानी में है, लिहाजा अब मरीजों के इलाज और स्टाफ द्वारा मरीजों के साथ किए जाने वाले बर्ताव को भी मॉनिटर किया जा सकता है।
डॉक्टर सिंह ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत ‘पेशेंट रिसिविंग बे’ में अब मॉनिटर की सुविधा युक्त छह वेन्टिलेटर बेड और चार रिसेसिटेशन बेड बढ़ाए गए हैं। बेड बढ़ाए जाने से अब एम्स की इमरजेंसी में बेडों की संख्या 40 हो गई है। उन्होंने बताया कि अभी तक इस एम्स की इमरजेंसी में कुल 30 बेडों की व्यवस्था थी। इनमें 12 बेड रेड एरिया और 12 बेड येलो एरिया के अलावा गंभीर मरीजों के लिए छह आईसीयू बेड शामिल हैं।
डा.पूनम अरोड़ा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम को संस्थान के उप निदेशक (प्रशासन ) ले. कर्नल एआर मुखर्जी, डीन एकेडेमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी, प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित त्यागी ने भी संबोधित किया।