डॉ रवि शरण दीक्षित
स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन , स्वस्थ जीवन का परिचायक है ’ शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोज्य पदार्थ अहम भूमिका निभाते हैं ’ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से और वर्तमान परिवेश में भोज्य पदार्थ शरीर को मजबूत ही नहीं बल्कि कई मायनों में और बेहतर बनाते हैं ’समय के साथ परिवर्तन ने हमारी जीवनशैली ने हमारे भोज्य पदार्थ को आसानी से उपलब्ध होना, सरलता से खाया जाना पौष्टिकता पर कम ध्यान, स्वाद अत्याधिक, पश्चिमी प्रभाव पर केंद्रित करते हुए समाज के सामने प्रस्तुत किया ’ भारतीय जीवन संस्कृति के मूल तत्व में स्वास्थ्य वर्धक भोज्य पदार्थ का सेवन रहा है ’जिसके उदाहरण वेदों पुराणों उपनिषदों में भरे पड़े हैं ,उन्हीं भोज्य पदार्थों में उदाहरण के तौर पर मोटे अनाज रहे हैं’ संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 वर्ष को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ( पोषक अनाज) वर्ष के रूप में घोषित किया गया है ’निश्चित ही यह उसी सोच का परिचायक है जो भारतीय संस्कृति की मूल अवधारणा में समाहित है ,भारत में भी आजादी के बाद भी भोज्य पदार्थों में मोटे अनाज बाजरा, मक्का ज्वार, रागी प्रमुख रहे हैं ’ 1965 से 70 के मध्य बाजरा एक प्रमुख भोज्य तत्व, लगभग 20% रहा है ’ समय के साथ आ रहे ,परिवर्तनों ने इस की मात्रा को कम किया और गेहूं, चावल जैसे अन्य अनाज सामने प्रभावी रूप से आ गए इस समय पूरा विश्व फिर इन्हीं मोटे अनाजों की ओर झुक रहा है , जो उनके लिए स्वास्थ्यवर्धक भी हैं ,प्रोटीन, फाइबर, मिनरल को भी भारी संख्या में अपने साथ रखते हैं , फैट की मात्रा कम है और शरीर को स्वस्थ रखने में भी एक प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं ’पेट और लीवर के लिए भी हितकारी हैं ,साथ ही साथ वर्तमान परिवेश की मुख्य बीमारियां जैसे डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में भी के निदान में इनका भोजन प्रयोग फायदेमंद होता है ’अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2023 वर्ष को इस की पहचान मिलना ’ पुनः भारतीय संस्कृति के तत्वों का परिचय, जो प्राचीन समय से ही हमारी संस्कृति में समाहित है विश्व के लगभग 70 देशों से भी ज्यादा देशों ने इस वर्ष को मोटे अनाज के वर्ष के रूप में स्वीकृति दी है ’और आने वाले समय में इसको दुनिया के और देशों तक पहुंचने में निश्चित ही सफलता मिलेगी, क्योंकि स्वास्थ्य सबसे बड़ी नियामत है ,और पूरा विश्व इस समय जिन कठिन कोविड परिस्थितियों से गुजर रहा है, स्वास्थ्य को लेकर या स्वास्थ्य की चेतना को लेकर पुनः उन्हें मूलभूत और हितकारी स्वास्थ्य कारी भोज्य पदार्थों पर निर्भरता को बढ़ाना होगा ।