रिमोट वोटिंग पर चुनाव आयोग का कसरत

उत्तराखंड में इसका विशेष महत्व साबित हो सकता है

देहरादून । भारत निर्वाचन आयोग ने अपने गृह नगर से देश में अन्यत्र बसे नागरिकों को रिमोट वोङ्क्षटग की सुविधा देने पर काम शुरू किया है। इस क्रम में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, राजीव कुमार ने उत्तराखंड के चमोली जिले के दुमक गांव के दूरस्थ मतदान केंद्र की अपनी पैदल यात्रा से प्रवासी नागरिकों की समस्या से सीधे रू ब रू हुए ।

उन्होंने इस बात की आवश्यकता बताई कि प्रवासी मतदाताओं को निवास के उनके वर्तमान स्थान से ही मताधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाया जाना चाहिए।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा रिमोट वोङ्क्षटग पर व्यापक मंथन शुरू किया गया है। इस तरह के सशक्तिकरण को क्रियान्वित करने के लिए कानूनी, वैधानिक, प्रशासनिक और प्रौद्योगिकीय पहल की जरूरत है।

आयोग की टीम ने सभी सामाजिक-आॢथक स्तरों पर प्रवासियों की चुनावी भागीदारी को संभव बनाने के लिए सर्वसमावेशी समाधान ढूंढने और मतदान करने की वैकल्पिक पद्धतियां जैसे कि दो-तरफा प्रत्यक्ष ट्रांजिट पोस्टल बैलट, परोक्षी (प्रक्सी) मतदान, विशेष समय पूर्व मतदान केंद्रों में जल्दी मतदान, डाक मतपत्रों का एकतरफा या दोतरफा इलेक्ट्रनिक प्रेषण (ईटीपीबीएस), इंटरनेट आधारित मतदान प्रणाली आदि सभी विकल्पों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।
सभी हिताारकों के लिए विश्वसनीय, सुगम और स्वीकार्य प्रौद्योगिकीय समाधान की तलाश करने के उद्देश्य से निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय और निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल के साथ मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोग ने घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट मतदान केंद्रों से मतदान करने में सक्षम करने के लिए समय की कसौटी पर खरे उतरे एम-3 ईवीएम मडल के संशोधित संस्करण का उपयोग करने का विकल्प ढूंढा है। इस तरह प्रवासी मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए वापस अपने गृह जिले की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी।
उत्तराखण्ड के संदर्भ में इसका विशेष महत्व हो सकता है। यहां के लाखों लोग रोजगार, व्यवसाय, शिक्षा आदि कारणों से देश के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं। रिमोट वोङ्क्षटग होने पर वे अपने गृह क्षेत्र के लिये मतदान कर सकेंगे और वहां के विकास प्रक्रिया में भागीदारी कर सकेंगे।
आयोग द्वारा अन्य विषयों के साथ ही घरेलू प्रवासियों को परिभाषित करने, आदर्श आचार संहिता लागू करने, मतदान की गोपनीयता बनाए रखने, मतदाताओं की पहचान के लिए पोङ्क्षलग एजेंटों को सुविधा देने, रिमोट मतदान की प्रक्रिया और पद्धति तथा मतों की गणना में आने वाली चुनौतियों का उल्लेख करते हुए सभी राजनैतिक दलों के बीच एक अवधारणा पत्र परिचालित किया गया है।
आयोग सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित उद्यम के सहयोग से घरेलू प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी को संभव करने के लिए उनके रिमोट लोकेशन अर्थात उनके मौजूदा निवास स्थान से उनके गृह निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक बहु-निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्रनिक वोङ्क्षटग मशीन (आरवीएम) को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने के लिए तैयार है।

ईवीएम का यह संशोधित रूप एक एकल रिमोट पोङ्क्षलग बूथ से 72 विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान करा सकता है। यदि यह पहल क्रियान्वित कर दी जाती है तो यह प्रवासियों के लिए एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन लेकर आने की क्षमता रखती है और उन्हें अपनी जड़ो से जुड़ो रहने में मददगार होगी, क्योंकि कई बार वे विभिन्न कारणों जैसे कि उनके निवास स्थानों के नियमित तौर पर बदलने, प्रवास क्षेत्र के मुद्दों से सामाजिक और भावनात्मक रूप से पर्याप्त जुड़ाव न होने, अपने गृह तथा मूल निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावली से नाम कटवाने की अनिच्छुकता से अपने कार्यस्थान पर स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीत करवाने के प्रति अनिच्छुक रहते हैं।
तकनीक के युग में माईग्रेशन के आधार पर मतदान के अधिकार से वंचित करना स्वीकार योग्य विकल्प नहीं है। आम चुनाव 2019 में 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ था और भारत निर्वाचन आयोग 30 करोड़ से अधिक निर्वाचकों द्वारा मतदान करने के अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करने और विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में मतदान का प्रतिशत अलग-अलग होने को लेकर सजग है।

वोटर टर्नआउट में सुधार लाने और निर्वाचन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में घरेलू प्रवासियों के कारण मतदाताओं द्वारा मतदान न कर पाना भी है जिसका समाधान किया जाना आवश्यक है। हालांकि, देश के भीतर प्रवासन के लिए कोई केंद्रीय डेटाबेस उपलब्ध नहीं है, फिर भी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ो के विश्लेषण से यह पता चलता है कि रोजगार, शादी और शिक्षा से संबंधित प्रवासन, समग्र घरेलू प्रवासन का महत्वपूर्ण घटक है। अगर हम समग्र घरेलू प्रवासन को देखें तो ग्रामीण आबादी के बीच बहिप्रवासन बड़े पैमाने पर देखा गया है। आंतरिक प्रवासन का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के भीतर होता है। रिमोट  से प्रवासी नागरिक अपने गृह क्षेत्रों से जुड़ सकेंगे।

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