डॉ श्रीगोपाल नारसन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ओम शांति रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम परिसर में हुए 24 से 26 दिसंबर तक हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय जुरिष्ट सम्मेलन में न्यायमूर्तियों ने माना कि दया व करुणा न्याय प्रदान करने में मददगार सिद्ध होती है।उन्होंने माना कि सबसे बड़ा जज परमात्मा है जो न्याय प्रदान करने में सबसे बड़ा मददगार है।
न्यायधीश भी मानते है कि वे न्याय देने के लिए निमित्त मात्र है ,परमात्मा उन्हें निमित्त बनाकर न्याय कराता है।यदि हम परमात्म याद में रहकर न्यायायिक कार्य करे तो बेहतर न्याय दिया जा सकता है।गुरुग्राम ओआरसी के इस न्यायविदों के राष्ट्रीय सम्मेलन में बड़ी संख्या में न्यायाधीशों,वरिष्ठ अधिवक्ताओं व न्यायिक शिक्षाविदों ने भाग लिया ।
जिन्होंने आध्यात्मिकता के साथ न्याय के प्रयोग को प्राथमिकता दी।सम्मेलन में देश के मुख्य न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने सपत्नीक भाग लिया और न्यायिक सेवाकाल के अपने अनुभव साझा किए।उनका कहना है कि जब हम न्यायिक प्रक्रिया के तहत होते है तो उस समय सही दिशा और सत्य के रूप में न्याय की आवश्यकता होती है। उनका मानना है कि परमात्मा का सान्निध्य सही रूप में यदि हो जाए तो हम हर किसी के साथ सही न्याय कर सकते है।
उन्होंने कई पीड़ितों को कानून की परिधि में रहकर भी प्राकृतिक न्याय देने के किस्से सुनाए। पूर्व न्यायाधीश सर्वेश कुमार गुप्ता ने कहा कि उनसे अधिक विद्वान अधिवक्तागण है जिनके विधिक तर्को व प्रस्तुत नजीरों के बल पर हम न्याय कर पाते है। उन्होंने कहा कि कई केस बहुत ही उलझे हुए होते है,जिनको सुलझाने में राजयोग के अभ्यास से एकाग्र होकर हम निष्कर्ष तक पहुंच सकते है।
जब हम न्यायिक प्रक्रिया के तहत होते है तो उस समय सही दिशा और सत्य न्याय की आवश्यकता ही हमे न्याय देने में मदद करती है। उन्होंने माना कि परमात्मा का सान्निध्य सही रूप में यदि हो जाए तो हर किसी के साथ सही न्याय हो जाएगा। उन्होंने माना कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान का राजयोग ध्यान मनुष्य के जीवन में तरक्की का रास्ता खोलता है। इसलिए हमें जीवन में राजयोग को अपनाने का प्रयास करना चाहिए।उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि ब्रह्माकुमारीज का शांत व सौम्य वातावरण देखकर ही महसूस होता है कि यहां अनुपम आध्यात्मिक सशक्तिकरण हैं।
सम्मेलन में न्यायिक शिक्षाविद प्रोफेसर बाबू लाल यादव ने कहा कि देश के हर वर्ग को न्याय मिले,यह बेहद आवश्यक है।यह भी आवश्यक है कि हमारा समाज अपराध मुक्त बने। इस देश में हर एक को सुख शांति प्रेम से रहने, अपनी बात कहने, खुशी का इजहार करने, अपने संस्कार और धर्म के हिसाब से जीने का अधिकार है।
उन्होंने ईश्वरीय ज्ञान को धारण कर न्यायिक सेवा करने के सार्थक परिणामो की जानकारी दी। ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशक राजयोगिनी आशा दीदी ने कहा कि जहां नारियों को सम्मान होता है ,वहां न्याय मिलना ओर सहज हो जाता है। वही देवता भी निवास करने लगते हैं ।
श्रीमदभागवत गीता में भगवान कहते हैं जब-जब धर्म की ग्लानि होती है तब तब मैं इस धरती पर अवतरित होकर अधर्म का विनाश करने के लिए न्याय देता हूं।उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था व संस्थापक ब्रह्माबाबा के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी व शंकाओं का समाधान किया।
सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा, विधि प्रभाग की उपाध्यक्ष बीके पुष्पा,विधि प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके लता ने भी राजयोग के अभ्यास से न्याय की सुगमता को अपने उद्बोधन से सिद्ध किया व न्याय में दया व करुणा की आवश्यकता सिद्ध की।इस बाबत वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि प्रकाश शर्मा का मानना है कि खुशी सिर्फ भौतिक विकास से नहीं मिलती। सच्ची खुशी आंतरिक विकास से प्राप्त होती है।
उन्ही के शब्दों में,’ आत्मा के ऊपर छाई कालिमा को कैसे धोया जाय यही महत्वपूर्ण है।’वही राजयोगिनी बीके श्रद्धा ने बड़े ही सहज शब्दों में लोगों को खुशी पाने और ईश्वर से जुड़ने का रास्ता बताया। ईश्वरीय व न्याय सेवा कार्य पर जोर देते हुए रिट्रीट सेंटर के किचिन प्रमुख मानते है कि मानव सेवा ही सच्ची सेवा है। वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका पुष्पा दीदी खुशी पाने का जतन बताती है और कहती है कि खुशी बाहर की परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती,हम अपने आप को जानकर ही हमेशा खुश रह सकते हैं।
उन्होंने खुशी को स्वधर्म बताया। न्याय विदों के इस सम्मेलन में माउंट आबू से विशेष रूप से पधारे संस्था के अतिरिक्त महासचिव बीके ब्रजमोहन भाई ने बताया कि किस प्रकार हम राजयोग के अभ्यास से स्वयं का सम्बंध परमात्मा से जोड़ सकते है और न्याय प्रदान करने में भी यह विधि कारगर सिद्ध हो सकती है।
सम्मेलन में मौजूद डेलीगेट्स का कहना है कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान में आकर उन्हें आत्मिक सुख व असीम शांति की अनुभूति हुई है।लगता है जैसे उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा की बैटरी चार्ज हो गई हो और इससे अब वह नई सोच,इन ऊर्जा व नई दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।
(लेखक ब्रह्माकुमारीज की मीडिया विंग के आजीवन सदस्य है व वरिष्ठ पत्रकार है)