नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के हल्दूचौड़ स्थित लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज में हुई भर्ती अनियमितताओं के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की दैरान जबरदस्त अनियमितता सामने आयी है ।
न्यायालय ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है जबकि अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इस मामले को हल्द्वानी के पीयूष जोशी और अन्य की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि प्रदेश में निवर्तमान कांग्रेस सरकार की ओर से 06 नवम्बर, 2015 में हल्द्वानी के हल्दूचौड़ स्थित लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कालेज को राजकीय दर्जा दे दिया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार ने 20 जून, 2016 को एक शासनादेश जारी कर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानकों के तहत शैक्षणिक योग्यता पूरी करने वाले शिक्षकों और व्याख्याताओं को पद के सापेक्ष विनियमित करने के निर्देश जारी कर दिये।
साथ ही अयोग्य शिक्षकों को पद पर बने रहने के साथ ही यूजीसी मानकों के तहत नेट या पीएचडी की अर्हता पूरी करने के लिये तीन साल का समय दे दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस बीच सरकार ने इन संविदा शिक्षकों के वेतन बढ़ा कर 35000 कर दिया।
साथ ही इस डिग्री कॉलेज के लिये विशेष प्रावधान कर अंकों में छूट प्रदान कर 50 प्रतिशत से 40 प्रतिशत कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह यूजीसी के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता की ओर से आरोप लगाया गया कि सरकार की ओर से यह पूरी प्रक्रिया उच्च पदों पर बैठे लोगों के रिश्तेदारों को समायोजित करने के लिये की गयी है। याचिका में पूर्व केबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश चंद्र दुर्गापाल का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मिली कि कालेज में अभी भी कई शिक्षक ऐसे तैनात हैं जिन्होंने यूजीसी मानकों के तहत शैक्षिक योग्यता की अर्हता पूरी नहीं की है। इस मामले में पुष्कर सिंह धामी सरकार को शिकायत की गयी, लेकिन अभी तक कार्यवाही नहीं की गयी है।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार लोगों को बचा रही है। याचिका में कालेज में तैनात प्रोफेसर श्रीमती कमला पांडे (बीएड), प्रो. रीता दुर्गापाल (बीएड), डा. भगवती (कामर्स), प्रो. गीता भट्ट (बीएड), डा. सरोज पंत (कामर्स) और प्रो. इंद्र मोहन पंत (एसएसटी) को पक्षकार बनाया गया है। अदालत ने इन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।