देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के जिस ऐतिहासिक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट मुहर लगा चुके हैं। उसी के खिलाफ गैरकानूनी रूप से बैकडोर से भर्ती और अब बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा के बाहर सांकेतिक धरना दिया। विधानसभा में अवैध रूप से नियुक्ति पाए इन कर्मचारियों को उत्तराखंड क्रांति दल ने समर्थन दिया है।
धरने में इन कर्मचारियों ने कहा कि जब विधानसभा में राज्य गठन से लेकर आज तक (वर्ष 2000 से वर्ष 2022 तक) सभी नियुक्तियां एक ही प्रक्रिया से हुई हैं तथा डीके कोटिया जांच समिति और विधानसभा ने न्यायालय में अपने एफिडेविट में भी सभी नियुक्तियां को अवैध बताती है तो कार्रवाई सिर्फ वर्ष 2१६ के उपरांत नियुक्त कर्मचारियों पर ही क्यों की गई। उन्होंने कहा कि भाजपा के रसूखदार नेताओं के वे कौन रिश्तेदार हैं, जिन पर कार्रवाई न कर बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
सवाल यह है कि जब सारी नियुक्ति ही अवैध है तो उनका नियमितीकरण कैसे वैध हो सकता है। जिसका हवाला देकर उन्हें बचाया जा रहा है। जब पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुन्जवाल की भर्तियों को ही अवैध कहां जा रहा है तो उनके द्वारा किया गया नियमितिकरण (वर्ष 2001 से वर्ष 2015 के कर्मचारियों का) कैसे वैध हो सकता है।
बर्खास्त बैकडोर कर्मचारियों ने कहा कि विधानसभा ने माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत अपने काउंटर एफिडेविट में कहा कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2001 से वर्ष 2021 तक सभी 396 नियुक्तियां अवैध हैं, तो फिर विधानसभा अध्यक्ष की यह सलेक्टिव अप्रोच क्यों, यह आधा अधूरा न्याय क्यों धरने में कपिल धोनी, भगवती सानी, दीप्ति पांडे, कुलदीप सिंह, गिरीश चंद्र बरगली, अनिल नैनवाल, मुकेश पंत, प्रदीप सिंह, गोपाल नेगी, धर्मेंद्र सिंह कार्की, अनिल रयाल, ओम प्रकाश, संजय सिंह, अरविंद चमोली, पंकज सिंह धोनी, पूनम अधिकारी, सरस्वती, अमित मंमगाई, निहारिका उनियाल, रविंद्र सिंह रावत, देवी दत्त पोखरियाल, मोनिका सेमवाल, शगुन बिष्ट, भूपेंद्र प्रसाद, बबीता भंडारी, विजय सिंह चौहान, पूनम अधिकारी आदि शामिल हुए।