राजयोगी मृत्युंजय भाई ईश्वरीय सेवा के महारथी!

डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू  के कार्यकारी सचिव एवं विश्व विद्यालय के शिक्षा प्रभाग के प्रमुख राजयोगी बीके मृत्युंजय भाई आध्यात्मिक जगत में एक ऐसा नाम है ,जो ईश्वरीय सेवा में पूर्णरूपेण समर्पित है।
दक्षिण भारत मे जन्म लेकर भी हिंदी के पक्षधर मृत्युंजय भाई देश और समाज मे ही नही बल्कि संसारभर को आध्यात्मिक रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते है।उनका मानना है कि हम विकारमुक्त होकर ही पतित से पावन व इंसान से देवता बन सकते है।मुझे प्रायः मृतुन्जय भाई का सानीदय उंक्त विश्व विद्यालय के मुख्यालय यानि मधुबन प्रवास के दौरान मिलता रहा है
उनको देखकर लगता है कि कोई तेजस्वी मानव दुनिया मे सकारात्मक परिवर्तन के लिए अपना जीवन लगाने के लिए आया है और यह सच भी है,राजयोगी बीके मृत्युंजय भाई ईश्वरीय सेवा के तहत परमात्मा शिव के द्वारा प्रदत्त महावाक्यों को आत्मसात करते हुए दुनिया के 140 देशों में चरित्र निर्माण की अलख जगा रहे है।जिसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत गणराज्य की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू है,जो ब्रह्माकुमारीज के नियमो व धारणाओं का पालन कर आज सर्वोच्च पद पर आसीन हो देश मे असहायों, वंचितों,अबलाओं,पीड़ितों का सहारा बन गई है।बीके मृतुन्जय भाई ने ब्रह्माकुमारीज शिक्षा प्रभाग प्रमुख के रूप में जहां देश दुनिया मे मूल्यपरक शिक्षा का सूत्रपात किया वही देश के लगभग 2 दर्जन विश्वविद्यालयो ने यह मूल्यपरक शिक्षा पाठ्यक्रम अपने यहां लागू भी किया।वे चाहते है यह पाठ्यक्रम देशभर में सभी विद्यालयो व विश्ववविद्यालयो में लागू हो,ताकि नही पीढ़ी में अच्छे संस्कार आ सके और देश का भविष्य चरित्रवान बन सके।ईश्वरीय सेवा के दौरान प्रति दिन 18 घण्टे तक कार्यकर संस्थान को आध्यात्मिक ऊंचाइयों की ओर ले जा रहे मृत्युंजय भाई को ब्रह्माकुमारीज प्रमुख के रूप में ब्रह्माबाबा, मम्मा जगदम्बा सरस्वती, प्रकाशमणि दादी,जानकी दादी ,गुलजार दादी और वर्तमान में रतनमोहिनी दादी का मार्गदर्शन मिलता रहा है।जिनके कुशल नेतृत्व में ब्रह्माकुमारीज ने नारी शक्ति को नई पहचान दी है। मृत्युंजय भाई का कहना कि वर्तमान समय घोर कलयुग का चल रहा है आज विश्व में चारों तरफ अशांति एवं नफरत फैल रही हैं। इन सबका एक ही समाधान है वह है मानव का मानव के प्रति प्रेम भाव एवं शांति।जिसके माध्यम से हम मानव कहलाने लायक बनते है।
जब कोई व्यक्ति अधिमान्य शिक्षा से कही अधिक श्रेष्ठ और विद्वान हो जाता है, तब देश दुनिया में उसे मान्यता व सम्मान स्वरूप विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थान अपनी सर्वोच्च शिक्षा उपाधि डॉक्टरेट या फिर डीलिट मानद रूप में प्रदान करते है।यूं तो प्रायः हर क्षेत्र में विभिन्न विभूतियों को इस तरह के मानद सम्मान मिलते रहे है।लेकिन आध्यात्म के क्षेत्र में पहले इस तरह का सम्मान नही मिल पाता था।परंतु जब से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू ने दुनिया के 140 देशों में अपने साढ़े आठ हजार से अधिक राजयोग शिक्षा केंद्र खोल दुनियाभर में राजयोग शिक्षा के पाठ्यक्रमों के माध्यम से आध्यात्म व चरित्र निर्माण को बढ़ावा दिया है तब से शिक्षण संस्थानों ने भी ब्रह्माकुमारीज़ के इस पाठ्यक्रम को न सिर्फ मान्यता देकर अपने यहां यह पाठ्यक्रम लागू किया बल्कि ब्रह्माकुमारीज़ की शीर्ष विभूतियों जो राजयोग व आध्यात्म में पाठ्यक्रम से भी कही ऊपर है ,को मानद डॉक्टरेट देकर इस ज्ञान को स्वीकार्य किया है।बीके मृत्युंजय भाई को राजयोग के माध्यम से सामान्य व्यक्तियों को श्रेष्ठ मनुष्य बनाने में योगदान के लिए डॉक्टरेट की उपाधि एक प्रतिष्ठित रांची विश्वविद्यालय द्वारा मिल चुकी है।रांची विश्वविद्यालय ने अपने 6 दशक के इतिहास में पहली बार ब्रह्माकुमारीज़ के कार्यकारी सचिव बीके मृतुन्जय भाई को उनके आध्यात्मिक योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया।वही बीके मृत्युंजय भाई को श्रीवेंकटेश्वर विश्वविद्यालय गजरौला ने भी मानद सम्मान से विभूषित किया है।जो मृत्युंजय भाई के सद्कार्यों की स्वीकार्यता का प्रमाण है।उन्हें उनके सुखद जीवन के लिए अप्रितम बधाई।

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